जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

सचिन पायलट 11 जून को क्या एलान करेंगे, इस पर बीजेपी की भी नज़र है। क्योंकि बीजेपी जानती है कि पायलट के मूव से उसकी भी आगे की रणनीति तय होगी। भले ही पायलट कल नई पार्टी बनाने का एलान नहीं करें। लेकिन जिस तरह से पिछले दो महीनों की 11 तारीख को पायलट ने भ्रष्टाचार और पेपरलीक के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को घेरा। उससे आने वाले चुनावों में प्रदेश में भ्रष्टाचार, पेपरलीक और बेरोजगारी को मुद्दा बनाने की बीजेपी की रणनीति को बल मिला है।

बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर हुई कि उनकी पार्टी के पूर्व उप मुख्यमंत्री व पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ही अपनी सरकार को उन मुद्दों पर घेर रहे है। जिन मुद्दों को लगातार बीजेपी उठा रही है। ऐसे में कल होने वाले पायलट के एलान पर बीजेपी ने भी अपनी नजरे जमा रखी है। बीजेपी का कहना है कि पायलट अपने मुद्दों पर डटे रहे नहीं तो किस्सा कुर्सी का ही समझा जाएगा।

कौन होता है नौ दो ग्यारह
सचिन पायलट के 11 जून के कार्यक्रम को लेकर नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि पायलट ने 11 तारीख को कई काम किए है। उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ जन संघर्ष यात्रा निकाली। आरपीएससी पर सवाल खड़े किए। लेकिन 11 जून को वो अपने मुद्दों पर खड़े नहीं रहते है तो यहीं समझा जाएगा कि किस्सा कुर्सी का था। राठौड़ ने कहा कि अगर अब पायलट वापस जाकर सुलह की बात करते है तो फिर यह मुद्दों की बात नहीं थी, केवल किस्सा कुर्सी का था। उन्होंने कहा कि 11 तारीख को कौन 9,2,11 होता है। यह समय बताएगा। लेकिन आज पायलट का जहाज़ ऑटो पायलट मोड पर उड़ रहा है। कहां उतरेगा कोई नहीं जानता है।

भाजपा अपने दम पर चुनाव लड़ती है
पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि सचिन पायलट कांग्रेस छोड़ते है या कांग्रेस में रहते है। इससे बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। बीजेपी अपने दम पर चुनाव लड़ती है। 2018 का चुनाव कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था, लेकिन बीजेपी केवल डेढ़ लाख के मामूली अंतर से चुनाव हारी। ये लोग 2013 में भी मिलकर चुनाव लड़े थे। तब बीजेपी को 163 सीटें मिली थी। अब पायलट कांग्रेस में रहते भी है तो हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि प्रदेश की जनता इन्हें समझ चुकी है। कैसे साढ़े चार साल इनके बीच कुर्सी का झगड़ा चला। कोविड के समय जब प्रदेश की जनता को सरकार की जरूरत थी। तब सरकार सेवन स्टार होटल्स में थी। पूरे समय एक व्यक्ति कुर्सी पर बने रहने और एक कुर्सी पाने की लड़ाई में लगा रहा।