जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

कर्नाटक में सरकार गठन के साथ ही कांग्रेस आलाकमान ने अब राजस्थान में संगठन और सरकार की सुध लेने की शुरुआत कर दी है। पार्टी ने प्रदेश के विवादों को सुलझाने के लिए सीएम अशोक गहलोत को सोमवार को दिल्ली बुलाया है। गहलोत की तरफ से पुष्टि भी कर दी गई है कि वे अगले दो दिन दिल्ली में रहेंगे।

बताया जा रहा है कि पार्टी की 27 मई को जो बैठक होनी थी, एजेंडा उसी का है। यानी इस मीटिंग में अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी शामिल हो सकते हैं। पार्टी की तरफ से यही कहा जा रहा है कि एजेंडे के बारे में जानकारी अभी तक नहीं मिली है।

पायलट पहले से दिल्ली में हैं। सीएम गहलोत का सोमवार को दिल्ली जाने का कार्यक्रम है। साथ ही प्रदेश के तीनों सह प्रभारियों को भी हाईकमान की ओर से फिलहाल दिल्ली में ही रहने को कहा गया है। ऐसे में कयास हैं कि राजस्थान को लेकर दिल्ली में अनौपचारिक बैठकों, मुलाकातों के दौर चल सकते हैं। इसके बाद कोई बड़ा फैसला आ सकता है। इसमें तीन तरह की चर्चा है, जिसमें पायलट को दिए जाने वाले भूमिका का मसला भी है।

कल खत्म हो रहा पायलट का अल्टीमेटम, आलाकमान नहीं चाहता वे आंदोलन करें

कांग्रेस प्रभारी रंधावा और अन्य नेता भले ही यह कहकर बात को टाल रहे हैं कि पायलट की ओर से दिया गया अल्टीमेटम कांग्रेस पार्टी को नहीं, बल्कि सरकार के लिए है, ऐसे में इसका जवाब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही देंगे। लेकिन पार्टी हाईकमान इस अल्टीमेटम को गंभीरता से ले रहा है। इसकी अवधि में केवल दो दिन का समय बचा है।

असल में जिस तरह से पायलट की जनसंघर्ष यात्रा में लगातार लोगों की संख्या बढ़ती चली गई और अंतिम दिन जयपुर में हुई सभा में भीड़ पहुंची, उसे लेकर हाईकमान भी चिंतित है। एआईसीसी सूत्रों का कहना है कि हाईकमान नहीं चाहता कि पायलट 30 मई तक के अपने अल्टीमेटम की अवधि के समाप्त होने के साथ ही प्रदेशभर के तय आंदोलन की घोषणा कर दें।

ऐसे में उनकी घोषणा से पहले ही हाईकमान हर पक्ष से बात कर लेना चाहता है। यानी जो भी फैसला या समझौता होना है, नए आंदोलन की घोषणा से पहले हो सकता है। हाईकमान पायलट प्रदेशभर के आंदोलन के पक्ष में इसलिए भी नहीं है, क्योंकि इससे कांग्रेस के बंटने के आसार बढ़ जाएंगें। चुनाव में इसका भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। विपक्ष इसे मुद्‌दा बनाएगा।