सिरोही ब्यूरो रिपोर्ट। 

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में चल रहे न्यायवेताओं के राष्ट्रीय सम्मेलन में रविवार को जीवन में आध्यात्मिकता के समावेश से न्याय प्रणाली को बेहतर बनाने पर मंथन किया गया।

इस अवसर पर संगठन के अतिरिक्त सचिव बृजमोहन आनंद ने कहा कि आध्यात्मिकता के माध्यम से स्वयं में अत्यंत शक्तिशाली एनर्जी के वाइब्रेशन का प्रवाह हमें नकारात्मक प्रवृत्तियों से सुरक्षित रखता है। मन को बोझिल करने वाले अनेक प्रकार के नकारात्मक संकल्पों से मुक्त होने के बाद ही न्याय व्यवस्था में सही कार्य किया जा सकता है। जब तक स्वयं के मन में विकृतियों का संग्रहण होता है तब तक सही न्याय करने में मन की शक्तियां कार्य नहीं कर पाती हैं। स्वयं के प्रति जागरूक होने के लिए पूरी सच्चाई-सफाई से स्वयं को स्वयं ही समझाना होगा।

राजयोग विशेषज्ञ बी.के. सूर्या तोमर ने कहा कि जीवन में बढ़ती तनावजन्य परिस्थितियों से मुक्ति प्राप्त करने को मन को ईश्वरीय एनर्जी से भरपूर करने के लिए नियमित रूप से राजयोग का अभ्यास करना जरूरी है। अनावश्यक रूप से व्यर्थ सोच मन को कमजोर कर देती है। मन को पवित्र, शुद्ध संकल्पों का भोजन देने से मन में सोई हुई शक्तियां जागृत हो जाती हैं। हम भगवान के बच्चे हैं तो हमारे में भी उसके जैसे संस्कार हैं, लेकिन उन संस्कारों का पुनर्निर्माण करने के लिए राजयोग की महत्वपूर्ण विद्या को जीवन में अंगीकृत करना समय की मांग है।

जीवन व्यवस्थाएं मन की अवस्था पर निर्भर
संगठन के न्यायविद प्रभाग की अध्यक्षा राजयोगिनी बीके पुष्पा बहन ने कहा कि जीवन की व्यवस्थाएं हमारे मन की अवस्था पर ही निर्भर करती हैं। इसलिए मानसिक अवस्था को श्रेष्ठ बनाने के लिए पुण्य कर्म ही करने चाहिए। राजयोग मन की शक्तियों को निखारने की चाबी है। सुकर्मों के बिना जीवन में शांति संभव नहीं है। विकर्म करने वाले भ्रमित चित्त व्यक्ति का मन विषय विकारों में भटकता रहता है।

खुले सत्र में इन्होंने भी चर्चा की
सम्मेलन में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जस्टिस बी. ईश्वरैया, कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए.एस. पच्चापुरे, प्रभाग उपाध्यक्ष जस्टिस बी.डी. राठी, अखिल भारतीय कर व्यवसायी महासंघ राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज घीया, अखिल भारतीय कर व्यवसायी सीजेड महासंघ अध्यक्ष संदीप अग्रवाल समेत बड़ी संख्या देश के विभिन्न राज्यों से आए न्यायविदों आध्यात्मिकता को जीवन में समावेश करने पर चर्चा की।