उदयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

शहर की प्रमुख झीलें फतहसागर और पिछोला तेज गर्मी के बीच अप्रैल आते-आते ही सूखने लगती है। इस बार भी यही हुआ। महज 6 फीट पानी बचने पर पिछोला को पिछले माह ही आकोदड़ा और देवास बांध से 10 फीट तक भरा गया। फतहसागर में भी अभी महज 6 फीट पानी ही बचा है।

लेकिन शहर से 8 किमी दूर स्थित ऐतिहासिक बड़ी झील अब भी लबालब है। 32 फीट भराव क्षमता की यह झील अभी महज 5 फीट खाली है। यानी इसमें अभी 27 फीट पानी मौज्ूद है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस बार इस झील से शहरी पेयजल व्यवस्था के लिए पानी नहीं उठाया गया।

जबकि पीएचईडी हर साल इससे 14 एमएलडी पानी रोज उठाता है। इस बार भी फतहसागर झील का स्तर कम हाेने पर बड़ी से पानी उठाने की याेजना बनाई थी। इसके लिए हाल ही पाइप लाइन की टेस्टिंग भी की थी। लेकिन यहां से पानी नहीं उठाया गया। एक अनुमान के मुताबिक बड़ी के 27 फीट पानी से शहर को 3 महीने तक सप्लाई दी जा सकती है।

सन 1669 में बनकर तैयार हुई थी झील
इितहासकार श्रीकृष्ण जुगनू बताते हैं कि बड़ी झील का निर्माण महाराजा राज सिंह ने अपनी माता जनादे की याद में करवाया था। इसका निर्माण 15 नवंबर 1664 को शुरू हुआ था। यह चार साल में यानी 31 जनवरी 1669 को बनकर तैयार हुआ था। इसकी पाल 197.3 मीटर लंबी है। यह 3.23 वर्ग किमी में फैला हुआ है। तब इस झील का सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्व का था। इसको बनाने के पीछे एक खास मकसद भी था। जब भी उदयपुर पर कोई बाहरी दुश्मन आक्रमण कर दे तो वे बड़ी क्षेत्र में जाकर सुरक्षित कर सके और वहां उनके पानी की सभी जरूरतें इस झील से पूरी हाे सके।

425 एमसीएफटी क्षमता है बड़ी झील की कुल 3.23 वर्ग किलोमीटर में फैली है यह पूरी झील 197 मीटर लंबी है पाल 02 लाख 61 हजार रुपए में बनकर तैयार हुई थी झील (सन् 1669)

प्री-वेडिंग शूट के लिए मशहूर
बड़ी झील पर्यटको को शांति और सुकून देती है। झील के करीब ही बाहुबली पहाड़ी चोटी है। जहां से इस झील का मनरोम दृश्य देखा जा सकता है। झील के किनारे और पहाड़ी काफी संख्या में देशभर से कपल प्री-वेडिंग शूट कराने के लिए आते हैं। वन विभाग की ओर से झील किनारे इकाे पार्क का संचालन किया जा रहा है। जहां बड़ी संख्या में पर्यटक कुदरती माहौल का अहसास करने आते हैं।