जोधपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
महात्मा गांधी अस्पताल में मेडिकल कॉलेज स्तर पर प्रदेश की पहली डीएनए लैब बनकर तैयार हो गई है। मशीन की टेस्टिंग शुरू हो चुकी है। इसके बाद इसी माह में जांच शुरू कर दी जाएगी। वर्तमान में जोधपुर समेत पूरे प्रदेश भर से डीएनए सैंपल जांच के लिए जयपुर में बनी एफएसएल लैब में भेजे जाते हैं।
जिससे वहां सैंपलों का अंबार लगा हुआ है। इसके चलते हत्या व दुष्कर्म के मामलों में जांच के नतीजों में देरी होती है। पीड़ित को समय पर न्याय नहीं मिल पाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने जोधपुर, जयपुर, कोटा और उदयपुर मेडिकल कॉलेज के अधीन डीएनए लैब खोले जाने की घोषणा की थी। जिसमें सबसे पहले जोधपुर मेडिकल कॉलेज में लैब बनकर तैयार है।
एमजीएच फोरेंसिक विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बिनाका गांधी ने बताया कि राज्य सरकार ने जोधपुर समेत चार जिलों में डीएनए लैब बनाए जाने की घोषणा की थी। मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. दिलीप कच्छवाह ने कहा कि यह लैब संभवत: मई के पहले सप्ताह में शुरू कर देंगे। उपकरणों पर 4.50 करोड़, सिविल कार्य पर 70 लाख रु. खर्च हुए। अधीक्षक डॉ. राजश्री बेहरा ने बताया कि अभी मशीन की टेस्टिंग चल रही है। जल्द ही प्रिंसिपल से बात करके शुरू करेंगे।
अभी पूरे प्रदेश का भार जयपुर से, हर माह 500 सैंपल वहां पहुंच रहे
प्रदेश में अभी केवल जयपुर में ही राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला है, जोकि केंद्र सरकार के एफएसएल विभाग के अधीन है। पूरे प्रदेश से जांच के लिए इसी लैब में सैंपल भेजे जाते हैं। जहां मैनपावर की कमी और सैंपल ओवरलोड होने के कारण सैकड़ों जांच लंबित हैं।
प्रदेश भर से डीएनए टेस्ट के लिए एक माह में औसतन 500 सैंपल जयपुर में बनी एक ही लैब में पहुंचते हैं, लेकिन स्टाफ की कमी के कारण वहां सैंपलों का अंबार लगता जा रहा है। जिस अनुपात में सैंपल पहुंच रहे हैं उस अनुपात में जांच पूरी नहीं हो पा रही।
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