राज्य सरकार ने एक कंपनी को नौगांवा के पास टेक्सटाइल पार्क के लिए 2.65 करोड़ रुपए में उदयपुर फोरलेन पर 64 बीघा जमीन (41 बीघा चारागाह व 23 बीघा बिलानाम) आवंटित की लेकिन कंपनी ने जमीन को मार्केट में बेचने के लिए रेट निकाल दी।
इसके सबूत हैं कि कंपनी ने भूखंड बेचने के लिए मार्केट में 64 बीघा जमीन का नक्शा और उसकी रेट लिस्ट निकाली है। इसमें अलग-अलग साइज के 40 भूखंड बनाकर इनकी करीब 33 करोड़ रुपए कीमत प्रस्तावित की है। 40 भूखंडों में से अब तक 10 करोड़ रुपए के 14 भूखंड भी बुक हो गए हैं। नियमानुसार कंपनी की ओर से बनाए ट्रस्ट (एसपीवी) के सदस्यों को सरकारी रेट पर ही जमीन दी जा सकती है।
सरकार ने यह जमीन मैसर्स श्रीनाथ इंटीग्रेटेड अपैरल टेक्सटाइल पार्क प्राइवेट लिमिटेड को रियायती दर पर 2 करोड़ 65 लाख दो हजार 960 रुपए में टेक्सटाइल उद्योग लगाने के लिए इस शर्त पर दी थी कि वे इस जमीन को आगे किसी काे सबलेट नहीं करेंगे। लेकिन कंपनी ने यह नियम नहीं माना।
जमीन की हर अपडेट जानकारी से जिला प्रशासन और जिला उद्याेग केंद्र काे अवगत करवाना था लेकिन अब तक किए गए काम से एक भी बार दाेनाें विभागाें काे जानकारी नहीं दी गई। जिला उद्योग केंद्र के अफसरों को इस बारे में जानकारी होने के बावजूद वे कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं।
गड़बड़- 2011 से 2020 तक 4 कलेक्टर ने आवंटन से मना किया लेकिन राजस्व (राज्य मंत्री) न्यायालय ने आवंटित की
- कलेक्टर ओंकार सिंह ने 13 जून 2011 काे पार्क के निदेशक काे पत्र लिखा कि 64 बीघा जमीन का 4 मई 2011 काे औद्याेगिक आरक्षण निरस्त होकर वापस सिवायचक और चारागाह हाे गई है। इसलिए आवंटन किया जाना संभव नहीं है।
- कलेक्टर मुक्तानंद अग्रवाल ने 13 मार्च 2018 काे राजस्व ग्रुप-3 विभाग काे पत्र लिखा कि जमीन चारागाह और बिलानाम है। इसलिए मार्गदर्शन करावें।
- 15 जुलाई 2019 काे कलेक्टर ने राजस्व ग्रुप-3 विभाग काे पत्र लिखकर कहा कि सुप्रीम काेर्ट के निर्णय 28 जनवरी 2011 और राज्य सरकार के आदेश 25 अप्रैल 2011 के अनुसार पालना करना संभव नहीं है।
- 10 जून 2020 काे कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने भी सुप्रीम कोर्ट के नियमों का हवाला देकर मार्गदर्शन मांगा।
- राज्य सरकार के 4 मई 2011 के आदेश के विरुद्ध कंपनी ने राजस्व (राज्य मंत्री) न्यायालय में याचिका पेश की। 17 फरवरी 2107 काे न्यायालय ने राजस्व ग्रुप-3 विभाग के 4 मई 2011 काे गलत माना। उन्हाेंने लिखा कि यह गलत था। इसके बाद 21 नवंबर 2022 को दोबारा जमीन आवंटन हुई।
आवंटन की इन दो शर्तों का उल्लंघन कर रही है कंपनी10 नंबर शर्त: आवंटी कंपनी का जमीन पर मालिकाना हक सीमित रहेगा ताकि लीज के कारण इस जमीन पर टेक्सटाइल अपेरल और इससे संबंधित यूनिट लगाने के लिए लाेन ले सकेंगे।
उल्लंघन: जमीन आवंटन होने के बाद कंपनी ने इसे अपनी व्यक्तिगत जमीन मान लिया। इसकी अब तक की प्रगति से एक भी बार अवगत नहीं करवाया।
11 नंबर: आवंटी कंपनी इस जमीन और इसके अधीन किसी भी भाग काे सबलेट नहीं कर सकेगी और राज्य सरकार की अनुमति के बिना काेई वित्तीय और तकनीकी भागीदार भी नहीं बनाए जाएंगे।
उल्लंघन: कंपनी ने इस पूरी जमीन को बेचने के लिए मार्केट में निकाल दिया है। रोज जमीन को देखने के लिए वहां पर लोग आते हैं और कंपनी के प्रतिनिधियों से इसके माेल-भाव करते हैं। कंपनी ने कई लाेगाें से वित्तीय और तकनीकी भागीदार बनने के लिए बात भी की है। जमीन की रजिस्ट्री करवाने पर भी बात हुई है।
टेक्सटाइल पार्क को आवंटित जमीन की जांच के लिए एडीएम (प्रशासन) के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई है। कमेटी 15 दिन में अपनी जांच रिपाेर्ट प्रस्तुत करेगी। जांच रिपाेर्ट के अनुसार अग्रिम निर्णय लिया जाएगा और राज्य सरकार काे इससे अवगत करवाया जाएगा। आशीष माेदी, कलेक्टर
अभी तक 1 भी भूखंड न बेचा न बुक कराया। वैसे विकास कार्याें में भी हमारा काफी खर्च आ रहा है। इसमें 7.50 कराेड़ रुपए वहां बिजली ग्रिड बनाने के लगेंगे। तीन कराेड़ रुपए सड़क बनाने में खर्च हाेंगे। पानी की टंकी सहित अन्य तरह के काम भी करवाए जाएंगे। सभी नियमानुसार है।रामसहाय जागेटिया, प्रतिनिधि, मैसर्स श्रीनाथ इंटीग्रेटेड अपैरल टेक्सटाइल पार्क प्राइवेट लिमिटेड
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