अजमेर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान सरकार की ओर से बांटे जाने वाले टैबलेट का खर्चा राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड वहन करेगा या नहीं, इस पर बोर्ड प्रबन्धन सोमवार को फैसला ले सकता है। हालाकिं सरकार ने पहले ही तय कर लिया है कि इसका खर्चा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ही वहन करेगा। लेकिन बोर्ड ने इस पर फिलहाल अपनी सहमति नहीं दी और कमेटी का गठन कर दिया। कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट इस मामले में नहीं दी है। इस मामले में बोर्ड कर्मचारी संघ पहले ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पैसा राज्य सरकार की ओर से वहन करने की मांग कर चुका है। हालाकिं सरकार के इस निर्णय पर प्रशासन हो या कर्मचारी नेता, कोई भी खुलकर बोलने से बच रहे हैं। वहीं बोर्ड के एडमिनेस्ट्रेटर बी.एल.मेहरा ने सोमवार को इस सम्बन्ध में बात करने के लिए कहा है।
यह है मामला
- राज्य सरकार ने होनहार स्टूडेंट्स को लैपटॉप देने की योजना वर्ष 2013-14 में लागू की। शिक्षा विभाग की इस योजना के तहत राज्य स्तर पर कक्षा 8वीं, 10वीं / प्रवेशिका और 12वीं सभी संकायों में 75% या इससे अधिक मार्क्स लाने वाले प्रत्येक कक्षा के 6 हजार और जिला स्तर प्रत्येक जिले के 100-100 मेधावी विद्यार्थियों को, जिन्होंने 70 फीसदी या इससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं को इस योजना का लाभ दिया जाता है। इसका खर्चा राज्य सरकार की ओर से ही वहन किया जाता था।
- सेशन 2019-20, 2020-21, 2021-2022, 2022-2023 के टॉपर्स को अभी तक लैपटॉप नहीं मिल पाए। हाल ही में सरकार ने लैपटॉप के बजाय टैबलेट देने की घोषणा की। 93 हजार टैबलेट बांटे जाने हैं और एक की कीमत करीब 23,900 रुपए है। टैबलेट का कुल खर्च 222.27 करोड़ रुपए है, जिसका सारा खर्चा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से वहन किए जाने का निर्णय सरकार ने कर लिया।
- सरकार की ओर से किए गए निर्णय के बाद माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर के वित्तीय सलाहकार की ओर से बोर्ड सचिव को पत्र भेजा। साथ ही कहा कि राशि की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए सूचित करें ताकि टैबलेट खरीदने संबंधी कार्यवाही पूर्ण की जा सके। इसके बाद बोर्ड ने एक कमेटी का गठन कर दिया। कर्मचारी संघ ने इस निर्णय के विरोध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा।
कर्मचारियों के विरोध की आशंका, प्रशासन मनाने में जुटा
राज्य सरकार की ओर से टैबलेट के लिए सवा दौ सौ करोड़ रुपए का खर्चा राजस्थान बोर्ड पर डाल दिया और बोर्ड कर्मचारी संघ इसको लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुका है लेकिन खुलकर विरोध नहीं जताया। सूत्रों के अनुसार, बोर्ड प्रबन्धन का मानना है कि बोर्ड की ओर से कोई निर्णय इस पर नहीं किए जाने के कारण कर्मचारी खुलकर विरोध नहीं कर रहे। लेकिन अगर बोर्ड प्रशासन सरकार को खर्चे की सहमति देता है तो कर्मचारी खुलकर विरोध कर सकते है। ऐसे में कर्मचारियों को मनाने में जुट गया है। चुनावी साल होने के कारण सरकार भी चाहती है कि टैबलेट जल्द दिए जाए। टैबलेट के लिए फंड तय होने के बाद टैंडर किए जाएंगे और इसमें भी समय लगना सम्भव है। चुनाव की आचार संहिता भी लगेगी। ऐसे में सरकार का दबाव है कि बोर्ड इसके लिए जल्दी से फंड दें।
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