झुंझुनू ब्यूरो रिपोर्ट।
जीएसटी कर व्यवस्था में खामी का फायदा उठाकर 5 साल में 8000 कराेड़ रुपए टैक्स चाेरी करने के मामले सामने आ चुके हैं। झुंझुनूं जिले में भी एक साल में दस मामले सामने आए हैं जिनमें करीब 20 कराेड़ रुपए से अधिक का फर्जीवाड़ा मिला है। केंद्रीय जीएसटी आसूचना व खुफिया निदेशालय की रिपाेर्ट के अनुसार देश में नवंबर 2020 तक ऐसे 5700 मामले सामने आए जिनमें 40000 कराेड़ रुपए का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था।
अब फरवरी 2023 तक ऐसे मामले करीब 10000 से ज्यादा सामने आ चुके हैं जिनमें एक लाख कराेड़ रुपए से भी अधिक का फर्जीवाड़ा सामने आया है। जीएसटी कर व्यवस्था की खामियों के चलते शातिर लाेग फर्जी आईडी प्रूफ के जरिए गरीब व नासमझ लाेगाें के नाम पर फर्जी फर्म बनाकर कराेड़ाें रुपए की टैक्स चाेरी कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने 30 जून 2017 काे देश में एक दर्जन से अधिक करों व उपकरों को समाप्त कर एक नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था जीएसटी लागू की थी। जीएसटी को एक सरल एवं कर चोरी पर पूरी तरह से अंकुश लगाने वाली कर व्यवस्था बताया गया था लेकिन इसमें खामियाें काे दुरुस्त नहीं करने से यह टैक्स देने वालाें के लिए परेशानी और टैक्स चाेराें के लिए फायदे का साैदा साबित हाे रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार जीएसटीआर-1 का जीएसटीआर-3 बी, जीएसटीआर-2 बी का जीएसटीआर-3 बी से लिंक नहीं हाेने की वजह से टैक्स चाेरी पर नियंत्रण नहीं हाे पा रहा है।
बाेगस इनपुट टैक्स क्रेडिट इस्तेमाल से करते हैं फर्जीवाड़ा, फर्जी फर्माें का कराते हैं पंजीयन
उदाहरण के तौर पर तिलहन व लोहा स्क्रैप जैसे उत्पाद जो मुख्यतः किसानों या अपंजीकृत व्यवहारियों से खरीदे जाते हैं, इन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त नहीं होती है। टैक्स चोर फर्जी फर्मों का पंजीकरण करा बिना माल खरीदे इन्वॉइस के जरिए बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त कर टैक्स नगद न देकर, इनपुट टैक्स क्रेडिट से करते हैं। जीएसटीआर-3बी को जीएसटीआर-1 से व जीएसटीआर-2बी काे जीएसटीआर-3बी से लिंक कर दायित्व व इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम की सीमा पर नियंत्रण नहीं किया जाने तक फर्जीवाड़ाें को रोक पाना संभव नहीं है।
देशभर में चर्चित रहे यह मामले
सेंट्रल जीएसटी टीम ने 2020 में अलवर की छह फर्जी फर्म पकड़कर 1300 कराेड़ व जयपुर में 2020 में 100 कराेड़ का फर्जीवाड़ा पकड़ा। अहमदाबाद में 74 फर्जी फर्म पकड़ी 4120 कराेड़ का फर्जीवाड़ा था। सेंट्रल जीएसटी ने उत्तरप्रदेश में 700, साउथ मुंबई में 185 कराेड़, मध्यप्रदेश के इंदाैर में 550 डमी फर्म पकड़ी थी।
झुंझुनूं के इन दाे उदाहरणाें से समझिए... फर्जी फर्म बनाकर ऐसे कर रहे हैं टैक्स चोरी
झुंझुनूं से 10 किमी दूर बास बुडाना में संचालित फर्म मैसर्स योगेंद्र सिंह की जांच के लिए जीएसटी टीम पहुंची। पंजीयन में फर्म के दिए गए पते पर भंवर सिंह का खेत में बना आवासीय मकान मिला। भंवरसिंह खेत में काम करते हुए मिला। भंवरसिंह से पूछताछ की तो उसने फर्म या फर्म मालिक योगेंद्र सिंह पुत्र जयपाल सिंह के बारे में अनभिज्ञता जताई। फर्म मालिक योगेंद्र सिंह यूपी के इटा जिले के गांव नांगला धानु का रहने वाला है।
पंजीयन में भंवरसिंह के घर का बिजली बिल बतौर एड्रेस प्रुफ लगाया गया था। लेकिन भंवरसिंह ने बताया कि न ताे उसने अपने घर का बिजली बिल कभी किसी को दिया तथा न ही कभी किसी को अपने घर का किरायानामा बनवाकर दिया। उसे तो यह भी नहीं पता कि उसके घर के पते पर कोई फर्जी फर्म कागजांें में संचालित है। इस फर्म द्वारा कागजाें में 35 लाख रुपए का बोगस टर्नओवर दिखाकर 6.25 लाख रुपए के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ दूसरी फर्मों को दिया गया था।
पिछले दिनाें जीएसटी टीम ने झुंझुनूं जिले में दस्तावेजाें में अंकित पते विकास नगर मलसीसर के आधार पर लोहा स्क्रेप की फर्म मैसर्स एसएस इंटरनेशनल के संचालन की जानकारी जुटाई। इसमें सामने आया कि वहां इस नाम की काेई फर्म कभी संचालित ही नहीं हुई। मालिक के बारे में भी किसी को कोई जानकारी नहीं थी।
असल में दस्तावेजाें में जिसे फर्म का मालिक बताया गया था वह सुखविंद्र पंजाब के टिब्बी का रहने वाला है। जबकि फर्म कागजाें में दो साल से मलसीसर के पते पर संचालित थी। रिकॉर्ड जांच में सामने आया कि फर्म द्वारा कागजों में 3.95 कराेड़ रुपए का बोगस टर्नओवर दिखाकर करीब 71 लाख रुपए के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ राजस्थान व दूसरे राज्यों के व्यापारियों को दिया गया है।
एक्सपर्ट व्यू - जीएसटी सरल नहीं, जटिल कर व्यवस्था है, इन खामियाें का समाधान है जरूरी
1. राज्य सरकारें जीएसटी कर ढांचे में वृद्धि संबंधी कोई भी निर्णय लेने में असक्षम हो गई हैं। राज्य विशेषकर विनिर्माता राज्य, राजस्व में केंद्र सरकार पर आश्रित हैं। जिस दिन पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी दायरे में आ जाएंगे, राज्य सरकारों की स्थिति राजस्व मामले में दयनीय हाे जाएगी। केंद्र यदि आईजीएसटी का हिस्सा समय पर नहीं दे तो राज्य के लिए आर्थिक संकट हो जाएगा।
2. जीएसटी सरलीकृत कर व्यवस्था के बजाय जटिल साबित हुई है। आम व्यवहारी जानकारी नहीं होने से दायित्व निर्वहन नहीं कर पाते हैं। विभाग कर निर्धारण तो कर देता है लेकिन इनपुट टैक्स क्रेडिट की बात आती है तो जीएसटी एक्ट की धारा 16(4) के तहत अस्वीकार कर देता है, जिससे जीएसटी का जटिल होना साबित हाेता है।
3. जीएसटी व्यवस्था से कर चोरी पर अंकुश लगा या नहीं यह ताे स्पष्ट ताैर पर दिख नहीं है, लेकिन फर्जीवाड़े जरूर बढ़े हैं। इन फर्जीवाड़ाें से राजस्व नुकसान की मात्रा कर चोरी से कहीं ज्यादा हाे गई है। टैक्स चाेराें द्वारा गरीब व मजदूर के नाम पर फर्जी फर्म खोलकर या बोगस इनपुट क्रेडिट पास कर फर्जीवाड़ा करने के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं।
देश में ऐसे फर्जीवाड़े कर टैक्स चोरी में राजस्थान तीसरे नंबर पर
केंद्रीय जीएसटी निदेशालय की रिपाेर्ट के अनुसार इस तरह फर्जीवाड़े करके टैक्स चोरी में राजस्थान देश में अभी तीसरे नंबर पर है। दिल्ली पहले व हरियाणा दूसरे नंबर पर है। जबकि तमिलनाडु चौथे व गुजरात पांचवे नंबर पर है। इससे पहले 2021 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा संसद में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 से जनवरी 2021 तक ऐसे फर्जीवाड़ों में 3295 मामलों के साथ दिल्ली पहले, 3290 मामलों के साथ तमिलनाडु दूसरे, 3195 मामलों के साथ महाराष्ट्र तीसरे व 2848 मामलों के साथ गुजरात चौथे स्थान पर था। तब राजस्थान में भी 2000 से अधिक मामले आ चुके थे। बीते दो साल में राजस्थान में जीएसटी एवं फर्जीवाड़े के मामले ज्यादा बढ़े हैं। इसके बाद ऐसे फर्जीवाड़ों में राजस्थान अब देश में तीसरे नंबर पर है।
जीएसटी से केंद्र सरकार का राजस्व बढ़ा है। 2017-18 में मासिक जीएसटी संग्रहण 80 से 90 हजार कराेड़ था, अप्रैल 2022 में 1.68 करोड़ हाे गया। इस बढ़ोतरी का बड़ा कारण अधिकाधिक उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाए जाने तथा वस्तुओं की मूल्य वृद्धि है।
निगरानी के लिए स्टेट लेवल पर टीम है
इस तरह के मामलाें पर निगरानी के लिए स्टेट लेवल पर विंग बनी हुई है। फर्जी फर्म बनाकर टैक्स चाेरी करने वालाें पर यह निगरानी रखती है। डाउटफुल फर्म की लाेकल लेवल पर मिलने वाले फीडबैक के आधार पर भी जांच कर लगातार कार्यवाही चलती रहती है।
- निहालचंद विश्नाेई, अतिरिक्त आयुक्त ( प्रशासन) बीकानेर, स्टेट जीएसटी
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