जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द करने के बाद सियासत गरमा गई है। रविवार को दिल्ली में राजघाट पर चल रहे कांग्रेस के सत्याग्रह के दौरान राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने राहुल गांधी के मानहानि वाले मामले को 2017 के गुजरात चुनावों में पीएम मोदी काे 'नीच' कहने वाली घटना से जोड़ते हुए प्रियंका गांधी का ध्यान खींचा। गहलोत 'नीच' कहने वाले बयान को बीजेपी के प्ले कार्ड के तौर पर इस्तेमाल करने का जिक्र कर रहे थे। इसी बीच प्रियंका गांधी बगल में मंच पर बैठे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से चर्चा कर रही थीं। इस दौरान गहलोत ने प्रियंका गांधी का ध्यान खींचते हुए दो बार नाम से पुकारा और कहा - प्रियंका जी, मैं एक बात कहना चाह रहा था, बात सुनिए। इसके बाद गहलोत ने आगे भाषण शुरू किया। प्रियंका गांधी का ध्यान अपने भाषण की तरफ दिलाने के गहलोत के इस अंदाज की सियासी हलकों में चर्चाएं हैं। गहलोत ने प्रियंका गांधी को बीजेपी के गुजरात प्रयोग की बात सुनने को कहा। जब प्रियंका ने ध्यान दिया तभी आगे बात शुरू की।
बीजेपी वाले अब ओबीसी के अपमान का मुद्दा बनाकर लाए हैं
गहलोत ने कहा- बीजेपी वाले अब ओबीसी को अपमान का मुद्दा बनाकर लाए हैं। 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में जब राहुल गांधी कैंपेन कर रहे थे, तब वहां नरेंद्र मोदी ने यह प्रयोग किया था। मोदी ने उस वक्त कहा था- मैं ओबीसी का हूं इसलिए 'नीच' कहा। गहलोत बोले- बीजेपी गुजरात चुनाव में हार रही थी तो आखिरी हथियार के रूप में मोदी ने कहा कि मुझे कांग्रेस नेता ने 'नीच' कह दिया। देखो भाइयों और बहनों मैं नीच हूं क्या? ओबीसी का हूं इसलिए 'नीच' कहा। गुजरात चुनाव में गेम पलटने के लिए मोदी ने क्या-क्या बातें नहीं बोली थीं। यह भ्रम अब जेपी नड्डा को भी हुआ है।
देश छोड़कर भागने वाले नीरव मोदी-ललित मोदी क्या ओबीसी हैं?
गहलोत ने कहा- इन्होंने तय किया है कि आने वाले 6 अप्रैल से ये लोग ओबीसी के बीच अभियान चलाएंगे। बीजेपी के लोग अभियान में ये मुद्दा बनाएंगे कि ओबीसी की बेइज्जती कर दी। जो लोग देश छोड़कर भागे हैं, क्या वे ओबीसी हैं। नीरव मोदी, ललित मोदी क्या ओबीसी के हैं? आप नीरव मोदी, ललित मोदी को क्यों बचा रहे हो? 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में उन्होंने जो प्ले कार्ड खेला था, वह कार्ड अब भी खेलना चाहते हैं। कांग्रेस ने ओबीसी, एससी, एसटी को जो दिया है, कोई सोच सकता है और दे सकता है। आजादी के वक्त से ही कांग्रेस वंचित-गरीब के साथ रही है। राजीव गांधी पीएम बनते ही आदिवासियों के बीच गए थे। यह बताने के लिए कि उनकी पार्टी सबसे गरीब आदमी के लिए काम करती है।
मुझे तीन-तीन बार कांग्रेस ने सीएम बनाया
गहलोत ने कहा- मैं ओबीसी का नहीं हूं क्या? मुझे तीन बार मुख्यमंत्री बनाया गया। मैं ओबीसी का हूं और तीन बार से मुख्यमंत्री हूं। आपको जानकारी होगी मेरी कम्युनिटी का विधानसभा में एक ही मेंबर है। वो मैं खुद हूं। मेरी कम्युनिटी सैनी-माली कहलाती है। उसका एक विधायक मैं ही हूं। फिर भी बार-बार मुख्यमंत्री बनता हूं। ओबीसी के लिए इससे बड़ा और क्या मैसेज हो सकता है। गहलोत ने कहा कि यह किस मुंह से ओबीसी की बात कर रहे हैं। ये ओबीसी को भड़काने के लिए ऐसी बातें कर रहे हैं। क्योंकि कर्नाटक में चुनाव आ रहे हैं। ये खतरनाक लोग हैं। इनका लोकतंत्र में कोई विश्वास नहीं है। ये फासिस्ट लोग हैं। राज करने के लिए खाली लोकतंत्र का मुखौटा पहन रखा है।
मीर जाफर की बिरादरी के तो ये लोग हैं
गहलोत ने कहा- जो लोग आज मीर जाफर कहते हैं। मीर जाफर की बिरादरी के तो ये लोग हैं। जिन्होंने आजादी की जंग में अपनी उंगली भी नहीं कटाई। आजादी की जंग के बारे में क्या मालूम है इन्हें? अंग्रेजों की मुखबिरी की वे आज सत्ता में आए हैं। देश को लोकतंत्र किसने दिया। कांग्रेस ने जनता को माई-बाप माना। कांग्रेस ने संविधान बनाया। देश में लोकतंत्र कायम रखा, मोदी जी को यह नहीं भूलना चाहिए।
राहुल की लोकप्रियता बढ़ती देख षड्यंत्र किया
गहलोत ने कहा- राहुल गांधी की यात्रा एक रूट पर थी, लेकिन उसका मैसेज पूरे देश में गया। मुद्दा बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, गरीब-अमीर की बढ़ती खाई और देश में भाईचारा बढ़ाना था। केंद्र सरकार के पास अवसर था कि इन मुद्दों पर काम करके सुधार करते। यात्रा के बाद राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ रही थी, इसलिए केंद्र ने षड्यंत्र किया। गहलोत ने कहा कि अडाणी मामले पर आरोप लगे और जवाब नहीं दे पाए तो राहुल गांधी के खिलाफ षड्यंत्र किया। मेरे 50 साल के राजनीतिक करियर में कभी यह नहीं देखा कि जब पीएम पर विपक्ष ने आरोप लगाए हों और जवाब नहीं दें। यह पहली घटना है। प्रधानमंत्री आरोपों का जवाब देने की जगह अडाणी का नाम तक नहीं ले रहे हैं।
माफी तो पीएम मोदी को मांगनी चाहिए
गहलोत ने कहा- प्रधानमंत्री ने मौन धारण कर रखा है। अडाणी पर कुछ तो जवाब देते। राहुल गांधी पर आरोप लगाए कि लंदन में क्या बोल गए। पीएम मोदी ने कोरिया, जर्मनी में देश के बारे में क्या-क्या बोला, माफी तो पीएम को मांगनी चाहिए। राहुल गांधी नई बात क्या बोली। यह तो बोलेंगे ही। उस मुद्दे पर बीजेपी ने जिस प्रकार माहौल बनाने का प्रयास किया तो राहुल गांधी ने संसद में अपनी बात रखने के लिए अनुरोध किया। जब किसी सांसद पर आप आरोप लगाओगे तो वह अपनी बात तो रखेगा ही। स्पीकर ने उनके अनुरोध की परवाह नहीं की। प्रधानमंत्री ने जो माहौल बना रखा है। उसमें स्पीकर, राष्ट्रपति कोई हो उसके आगे किसी में सच कहने का साहस नहीं है।
राहुल गांधी देश की आवाज
गहलोत ने कहा- राहुल गांधी ने देश की आवाज उठाई है। शनिवार को राहुल गांधी ने साफ कर दिया कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि संसद में रहें या न रहें, वे डरने वाले नहीं हैं। रुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने हमें मैसेज दे दिया है कि आगे आने वाले दिनों में किस प्रकार जनता के बीच जाना है। अब हमारी ड्यूटी बनती है कि राहुल गांधी की भावना को आगे बढ़ाएं । राहुल गांधी को संसद से निष्कासित करके इन्होंने विपक्ष को एकजुट होने का मौका दे दिया है। राहुल गांधी देश के लोगों की आवाज बनकर निकले हैं।
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