जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राइट टू हेल्थ बिल्कुल लेकर डॉक्टर्स का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। डॉक्टर्स ने सरकारी योजनाओं को निजी अस्पतालों में बंद करने का फैसला किया है। प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम्स सोसायटी के सेक्रेटरी डॉ. विजय कपूर ने बताया कि प्रदेशभर में प्राइवेट हॉस्पिटल ने सरकारी स्कीम्स को बंद करने की लिखित सहमति दे दी है। ऐसे में 1 अप्रैल से राजस्थान के सभी के प्राइवेट हॉस्पिटल में सरकारी स्कीम्स के मास डीएम्पेनेलमेंट की कार्रवाई को पूरा कर लिया जाएगा।

आंदोलनकारी डॉक्टर्स ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल आज भी जारी है। सरकार के दबाव में कुछ रेजिडेंट भले ही काम पर लौट गए हों। लेकिन JARD ने अपनी हड़ताल को जारी रखा है। वहीं कोटा की डॉक्टर नीलम खंडेलवाल आज दूसरे दिन भी आमरण अनशन पर बैठी हुई हैं। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांग को पूरा नहीं कर देती मेरा अनशन जारी रहेगा।

इससे पहले गुरुवार दोपहर में प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम सोसायटी के पदाधिकारियों ने बैठक कर मुख्यमंत्री से इस पूरे मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी। जिसके बाद डॉक्टर्स का प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास भी पहुंचा था। जहां डॉक्टर्स की ओर से वीरेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री तक डॉक्टर्स की मांग पहुंचाई।

इसके बाद मुख्यमंत्री ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को डॉक्टर्स की समस्या सुनने के लिए अधिकृत किया है। ऐसे में अब राइट टू हेल्थ बिल को लेकर डॉक्टर्स की समस्याओं की सुनवाई गोविंद सिंह डोटासरा करेंगे। इसके बाद ही सरकार के स्तर पर कुछ फैसला हो सकेगा।

स्वास्थ्य मंत्री बोले- बिल नहीं लेंगे
वहीं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि बिल वापस किसी कीमत पर नहीं होगा। यह डॉक्टर्स को बता दिया गया है। हमने डॉक्टर्स की सभी मांगे मानी हैं। इसके बाद भी अगर कोई बात छूट गई है। तो रूल्स में डाल देंगे। हमें बिल वापसी के अलावा सारी बातें मंजूर हैं। बिल वापस करने की बात करने का डॉक्टर्स का अधिकार नहीं है। क्योंकि यह बिल विधानसभा में सर्वसहमति से ही पास हुआ है। जो गवर्नर के पास जा चुका है, जहां से भी जल्द ही स्वीकृत होने वाला है।

इससे पहले राइट टू हेल्थ बिल पर आंदोलन कर रहे रेजीडेंट्स डॉक्टर्स ने आज से आंदोलन खत्म करके वापस काम पर लौटने का एलान किया है। रेजिडेंट्स के इस आंदोलन से प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक और दूसरे डॉक्टर्स के आंदोलन को बड़ा झटका लगा है। वहीं जयपुर रेजीडेंट्स डॉक्टर्स की एसोसिएशन (जार्ड) में इस निर्णय को लेकर दो फाड़ की स्थिति हो गई है। रेजीडेंट्स डॉक्टरों के गुट ने रात करीब 12 बजे अलग से जनरल बॉडी की मिटिंग करते हुए फैसले को मानने से इंकार कर दिया और आगे भी आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है।