जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि पर 6 मार्च को होलिका दहन होगा। इस दिन ग्रहों और नक्षत्रों का विशेष योग लोगों के लिए शुभ फलदायी होगा।

होलिका दहन के दिन कुंभ राशि में सूर्य, बुध और शनि का त्रिग्रही योग बनेगा। मीन राशि में गुरु और शुक्र की युति से भी शुभ योग बन रहे हैं। शुक्र अपनी उच्च राशि में होने से मालव्य योग और गुरु अपनी स्वराशि में होने से हंस नामक राज योग बन रहे हैं।

ग्रहों के इस परिवर्तन से मेष, मिथुन, सिंह, धनु और मीन राशि के जातकों को शुभ फल और लाभ प्राप्त होंगे। ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ अनुसार प्रदोष काल में होलिका दहन के दौरान कई ग्रह अपने उच्च स्तर पर होंगे, जो कई राशियों के लोगों पर प्रभाव डालेंगे।

होलिका दहन का समय व मुहूर्त : शाम 4:18 बजे पूर्णिमा प्रारंभ होगी
ज्योतिषाचार्य गौड़ ने बताया कि होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल की प्रदोष व्यापीनी पूर्णिमा को भद्रा रहित करना शास्त्रोक्त बताया गया है।

इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी सोमवार 6 मार्च को शाम 4:18 बजे पूर्णिमा प्रारंभ होगी जो अगले दिन मंगलवार को शाम 6:10 बजे तक रहेगी। अतः प्रदोष काल में पूर्णिमा 6 मार्च को ही होने से होली पर्व इसी दिन मनाया जाएगा।

हालांकि इस दिन भद्रा शाम 4:18 से दूसरे दिन सुबह 5:14 बजे तक रहेगी। शास्त्रानुसार होलिका दहन में भद्रा टाली जाती है।

धर्म सिंधु का मत मिलता है कि भद्रा का समय यदि निशीथ ( अर्धरात्रि) के बाद चला जाता है, तो होलिका दहन भद्रा मुख को छोड़कर भद्रा पुच्छकाल या प्रदोषकाल में करना श्रेष्ठ बताया गया है।

ज्योतिषाचार्य प्रो. विनोद शास्त्री के मुताबिक भद्रा अगले दिन सुबह 5:14 तक रहेगी। अतः प्रदोष काल अथवा भद्रा पुच्छ में होलिका दहन करना चाहिए। ऐसे में जयपुर में 6 मार्च को शाम 6:26 से 8:55 के मध्य गोधूलि वेला में होलिका दहन किया जाना शास्त्रोक्त है।

इन राशियों पर होगा प्रभाव
मेष राशि के जातकों के लिए होलिका दहन के बाद से अच्छे पलों की शुरुआत हो सकती है। बृहस्पति ग्रह मीन राशि में हैं, लेकिन नए सनातन साल में मेष में गोचर करेगा।

ऐसे में अभी से मेष राशि वालों के सुख और समृद्धि के द्वार खुलने की संभावना है। मिथुन राशि वालों के रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होने और आर्थिक स्थिति मजबूत बनने के योग बन रहे हैं।

सिंह राशि के लोगों पर देवगुरु बृहस्पति की विशेष कृपा रहेगी। धनु व मीन राशि के जातकों पर त्रिग्रही योग का विशेष प्रभाव पड़ेगा।