जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

रामनवमी की मध्य रात्रि को गुरु का तारा पश्चिम दिशा में अस्त होगा। इससे सभी मांगलिक कार्यों पर अगले एक माह तक विराम लग जाएगा। चैत्र शुक्ल नवमी गुरुवार रात 2:51 बजे से (अर्थात 31 मार्च प्रारंभ) गुरु का तारा पश्चिम दिशा में अस्त होगा। एक माह बाद वैशाख शुक्ल अष्टमी 28 अप्रैल दोपहर 12:56 बजे गुरु का तारा पूर्व दिशा में उदय होगा। वैशाख शुक्ल तृतीया अक्षय तृतीया का अबूझ मुहूर्त 22 अप्रैल को छोड़ कर 31 मार्च से 28 अप्रैल तक मांगलिक और शुभ कार्य व्रजित रहेंगे।

ये कार्य नहीं हो सकेंगे
ज्योतिषी पं. दिनेश मिश्रा ने बताया कि सगाई, विवाह, देव प्रतिष्ठा, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, वास्तु पूजन, व्रत का आरंभ एवं उद्यापन, उपनयन संस्कार, मुंडन संस्कार, मंत्र ग्रहण, सन्यास लेना, दीक्षा ग्रहण करना, चूडा कर्म इत्यादि सभी मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा। केवल आखातीज को अबूझ मुहूर्त होने से इस दिन सभी मांगलिक कार्य हो सकेंगे।

इसलिए गुरु व शुक्र अस्त का नहीं लगता दोष

आखातीज को सूर्य और चंद्रमा उच्च के होते हैं अर्थात सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में होते हैं। इसके चलते आखातीज को गुरु तथा शुक्र अस्त का दोष नहीं लगता है। इसी कारण आखातीज को अबूझ मुहूर्त कहते हैं और अक्षय तृतीया को किए गए समस्त शुभ व मांगलिक कार्य अक्षय हो जाते हैं।