बूंदी ब्यूरो रिपोर्ट।  

डॉक्टर्स की हड़ताल के दौरान बूंदी कलेक्टर डॉ. रविन्‍द्र गोस्‍वामी ने जिला अस्पताल के ट्रॉमा वार्ड में मरीजों को देखा। लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए कलेक्टर ने मरीजों का इलाज किया। इस कार्य के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कलेक्टर की तारीफ की है। आईएएस में चयन होने से पहले डॉक्टर रह चुके कलेक्टर ने अपने पुराने अनुभव और मानव सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखते हुए अन्य डॉक्टरों के लिए उदाहरण पेश किया है। साथ ही अपने प्रशासनिक कार्यों का निर्वहन करते हुए दोहरी जिम्मेदारी को कर्तव्य निष्ठा से निभाया।

वर्तमान में राइट टू हेल्थ के विरोध में डॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आमजन को इलाज में किसी तरह की परेशानी नहीं हो, इसके लिए सभी वैकल्पिक इंतजाम प्रशासन की ओर से किए गए हैं। मानवता के इस कार्य में जिला कलेक्टर भी पीछे नहीं रहे और सुबह जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर पहुंच गए। इस दौरान यहां मरीज डॉक्टर से इलाज कराने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इसके बाद जिला कलेक्टर स्वयं ट्रॉमा सेंटर में सेवाएं देने में जुट गए और सभी मरीजों को उनकी बीमारी के अनुसार दवाइयां लिखी। उन्होंने करीब 50 से अधिक मरीजों का इलाज किया।

इस दौरान जिला कलेक्टर ने कहा कि डॉक्टरों को अपनी बात रखने के साथ ही मरीजों को इलाज में किसी तरह की परेशानी नहीं हो, इसका भी ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आगे भी जरूरत के अनुसार वे अपनी सेवाएं आमजन को उपलब्ध करवाते रहेंगे। उन्होंने बताया कि वे हर साल अपने लाइसेंस का नवीनीकरण भी करवाते हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर लोगों की सेवा की जा सके। इस दौरान उन्होंने निर्देश दिए कि ओपीडी में आने वाली गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों का इलाज प्राथमिकता से किया जाए।

आईएएस बनने के पहले उन्होंने 3 से 4 साल तक स्वास्थ्य सेवाएं दी हैं। कलेक्टर ने जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई की। जिसके बाद जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में 2 साल तक अपनी सेवाएं दी। पीएचसी अकोला (चित्तौड़गढ़) में हेल्थ ऑफिसर के रूप में 2 साल तक काम किया। साल 2016 में पहले प्रयास में ही कलेक्टर बने। ऐसे में डॉक्टर होने का अनुभव इस आपात स्थिति में लेते हुए बूंदी जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड और ट्रॉमा वार्ड में पहुंचकर वहां मौजूद मरीजों का हालचाल जाना और उनकी जांच की।