जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 
प्रदेश में केवल मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ही चाहते हैं कि पत्रकारों को रियायती दर पर प्‍लॉट उपलब्‍ध हो और उनकी आवासीय समस्‍याएं हल हों, लेकिन उनकी सरकार के अधिकारी उनकी इस मंशा से कम ही ताल्‍लुक रखते हैं। इसीलिए बांसवाड़ा समेत कुछ अन्‍य जिलों में पत्रकारों की आवासीय योजनाएं बनकर तैयार है, लेकिन राज्‍य के नगरीय विकास विभाग और राज्‍य स्‍तरीय पत्रकार आवास समिति की ओर से कोई भी नीति जारी नहीं होने के चलते अनेक समस्‍याएं उत्‍पन्‍न हो गई है। जहां गहलोत की पिछली सरकार के दौरान वर्ष 2010 में ही पत्रकारों को आरक्षित दर से 50 प्रतिशत की दर पर प्‍लॉट देने के आदेश जारी किए जा चुके थे, इस सरकार के पांचवें वर्ष आने तक इस सम्‍बन्‍ध में कोई भी आदेश जिलों में नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में रियायती दर पर अपने प्‍लॉट का सपना देख रहे जिलों के पत्रकार शत प्रतिशत आरक्षित दर पर ही प्‍लॉट खरीदने पर मजबूर हैं। 
मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार की प्राथमिकता रही है कि आवास समस्‍या से परेशान प्रदेश के पत्रकारों के लिए आवासीय योजनाएं बनाकर रियायती दर पर प्‍लॉट दिए जाएं। इसके लिए उन्‍होंने सरकार बनाने के बाद अनेक बार पत्रकारों को इसका आश्‍वासन दिया और अधिकारियों को भी अपनी मंशा जताई है, लेकिन सरकार के सवा चार साल गुजरने के बाद भी न तो इसकी कोई नीति जारी की गई है और न ही ठोस काम नजर आए हैं।
उल्‍लेखनीय है कि पत्रकारों की आवास समस्‍या पर संवेदनशीलता दिखाते हुए मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने समय रहते दिसम्‍बर, 2021 में राज्‍य स्‍तरीय पत्रकार आवास समस्‍या समाधान समिति बनवाई थी, जिसमें यूडीएच सचिव कुंजीलाल मीणा को अध्‍यक्ष बनाकर इसकी जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी। दुखद है कि इस समिति की अब तक मात्र तीन औपचारिक बैठकें ही आयोजित हुई, जिसमें भी पहली बैठक आपसी परिचय और अन्‍य दो बैठक वर्चुअल कर खानापूर्ति कर दी गई। इन बैठकों में हुए निर्णयों की किसी को कोई जानकारी नहीं है। राज्‍यपाल महोदय की आज्ञा से बनी इस उच्‍च स्‍तरीय समिति को राज्‍य भर के पत्रकारों को आवासीय सुविधा के लिए रियायती दरों पर भूमि उपलब्‍ध कराने की मांग पर विचार कर सरकार को ठोस सुझाव देने और उसका प्रभावी क्रियान्‍वयन सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए थे। साथ ही योजना के क्रियान्‍वयन के लिए पत्रकारों से आवेदन आमंत्रित करने के नॉर्म्‍स तय करने और पत्रकारों के आवास समस्‍या के संबंध में सभी कठिनाइयों के निराकरण के लिए उपाय सुझाने का महत्‍वपूर्ण काम सौंपा गया था। 
समिति का दो तिहाई समय गुजरने के बाद समिति अध्‍यक्ष कुंजीलाल मीणा प्रदेश के पत्रकारों की आवास की सुध लेना तो दूर राजधानी जयपुर में भी पत्रकार आवास के लिए जमीन तक नहीं ढूंढवा पाए हैं। जबकि वे खुद यूडीएच के सचिव भी हैं। समिति की खानापूर्ति के लिए वे अपनी प्रशासनिक क्षमताओं का परिचय देते हुए 13 साल पुरानी नायला में आवंटित हो चुकी 571 पत्रकारों की योजना पिंकसिटी प्रेस एनक्‍लेव को भी निरस्‍त कराने पर आमादा हैं। जयपुर विकास प्राधिकरण की तत्‍कालीन हुई एक लिपिकीय त्रुटि में अटकी पिंकसिटी प्रेस एनक्‍लेव, जिसमें पांच माह से सभी आवंटी परिवार मुख्‍यमंत्री से न्‍याय की उम्‍मीद लेकर आंदोलन कर रहे हैं। योजना की लिपिकीय त्रुटि, जिसे स्‍वयं सरकार और जेडीए उच्‍च न्‍यायालय तक में स्‍वीकार कर चुके हैं, को दूर करने के बजाय इस पर नई योजना बसाने की सलाह सरकार को देने में लगे हैं। अब जबकि राज्‍य सरकार के कायर्काल का अंतिम वर्ष भी निकल रहा है और शीघ्र ही विधानसभा चुनाव की आचार संहिता भी लगेगी तो ऐसे में मुख्‍यमंत्री के पत्रकारों से किए वादे और घोषणाएं कुंजीलाल जैसे अधिकारियों की लचरता पर बलि चढ़ने वाले हैं।