कोटा ब्यूरो रिपोर्ट।
भारतीय किसान संघ ने केंद्र और राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए आगामी दिनों में बड़ा आंदोलन करने के संकेत दिए हैं। प्रांत महामंत्री अंबालाल शर्मा ने कहा कि गेहूं का उत्पादन अधिक होने और दूसरे देशों में मांग के बावजूद सरकारी नीति के कारण गेहूं का पूरा मूल्य किसान को नहीं मिल पा रहा। भारतीय किसान संघ की मांग है कि वाणिज्य मंत्रालय किसानों के बारे में कोई भी निर्णय लेने से पहले किसान और कृषि मंत्रालय से सामंजस्य बिठाए।
उन्होंने कहा कि सरकार एमएसपी घोषित करती है, लेकिन उसका 25% ही खरीदती है। राजस्थान सरकार ने लहसुन खरीदी का सर्कुलर तो जारी किया, लेकिन एक गांठ भी नहीं खरीदी, हाड़ौती में सदानीरा नदियां बहती हैं, लेकिन छोटी- छोटी परियोजनाओं के अभाव में किसान के खेत तक पानी नहीं पहुंच पा रहा। राजस्थान सरकार की किसान विरोधी नीति के कारण किसान आत्महत्या करने पर मजबूर है। अभी हाल ही में बूंदी में किसान ने आत्महत्या की है। सरकार का बीमा कंपनियों पर कोई दबाव नहीं है। सरकारी गिरदावरी में 30% से अधिक खराबा नहीं दिखाने के लिए अधिकारियों पर दबाव है। जिसके खेत का धनिया असमय बारिश में बह गया। उसका भी खराबा 30% दिखाया जा रहा है। यह किसान के साथ मजाक है। आपदा राहत राशि भी किसी को 2 रुपए तो किसी को 200 रुपए मिल रहा है।
यह किसानों के साथ हास्यास्पद स्थिति है। उन्होंने कहा कि 5 प्रकार से बिजली पैदा होने के बावजूद राजस्थान में किसानों को ना तो निर्बाध बिजली मिल पा रही है और नहीं उसका मूल्य ही कम किया गया है। चुनाव में सभी पार्टियों को किसानों का मांग पत्र दिया जाएगा। जगदीश कलमंडा ने कहा कि आपदा राहत कोष से मिलने वाली राशि बीमा राशि को काटकर दी जा रही है। जो किसान के साथ अन्याय है। अगले कुछ दिनों में किसानों की समस्याओं का हल नहीं निकला तो अगले महीने राजस्थान भर का किसान जयपुर कूच करेगा।
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