उदयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
मेवाड़ के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक ईडाणा माता ने शुक्रवार को करीब एक साल बाद अग्निस्नान किया। नवरात्रि के तीसरे दिन शुक्रवार को शाम 4:30 बजे अचानक मंदिर में प्रतिमा के पास आग लग गई। अग्निस्नान की सूचना मिलते ही आसपास के गांवों में लगी तो ग्रामीण भी दर्शन के लिए पहुंचने लगे। करीब 25 मिनट तक माता का अग्निस्नान चलता रहा। इससे पहले मां ईडाणा का 28 मार्च 2022 को अग्नि स्नान हुआ था। स्नान के बाद माताजी को नया शृंगार कराया गया। दरअसल, इस अग्निस्नान को देखने के लिए देश विदेश से लोग आते हैं, लेकिन कोई समय फिक्स नहीं होने की वजह से सभी को ये दर्शन नहीं होते। नवरात्रि में ईडाणा माता ने जैसे ही अग्निस्नान किया तो आसपास के गांवों से लोग दर्शन के लिए जमा हो गए।
मान्यता है कि मेवल की महारानी के नाम से प्रसिद्ध ईडाणा माता समय-समय पर अग्निस्नान करती रहती हैं। बता दें कि मेवल क्षेत्र में करीब 52 गांव आते हैं। इसमें से ईडाणा गांव भी एक है। जहां माता का मंदिर बना है। माता के अग्निस्नान के दर्शन करने वाले भक्त अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं। अग्निस्नान में माता का श्रृंगार, कपड़े और अन्य सामान जलकर भस्म हो जाते हैं। माता की प्रतिमा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
12 महीने से ज्यादा समय बाद हुआ अग्निस्नान
इससे पहले मां ईडाणा का 28 मार्च 2022 को अग्नि स्नान हुआ था। वहीं, 9 मार्च 2021 की शाम को 4 बजे अग्निस्नान किया था। इसके 5 दिन बाद 14 मार्च 2021 को भी अग्निस्नान हुआ। अब करीब 12 महीने से ज्यादा वक्त के बाद ये अग्निस्नान हुआ है। स्थानीय लोगों की मानें तो सन् 2020 में एक बार भी अग्नि स्नान नहीं हुआ था। 2019 में 2 बार अग्निस्नान हुआ था। अब तक अग्नि स्नान मार्च महीने में हुए हैं।
मान्यता है कि लकवा रोगी होते हैं ठीक...
ये मंदिर उदयपुर शहर से 60 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। मां का ये दरबार एक खुले चौक में स्थित है। इनके चारों तरफ कमेटी के कार्यालय, धर्मशाला आदि बन गए हैं। मान्यता है कि लकवा से ग्रसित रोगी मां के दरबार में आकर ठीक हो जाते हैं। यहां मंदिर का दरबार एक खुले चौक में हैं। इस जगह देवी की प्रतिमा महीने में स्वत: 2-3 बार अग्नि स्नान करती हैं। इस अग्नि स्नान में मां पर चढ़ाई जाने वाली चुनर और धागे भस्म हो जाते हैं। प्रतिमा के पीछे अनगिनत त्रिशूल लगे है,भक्तजन अपनी मन्नत पूरी करवाने के लिए यहां त्रिशूल चढ़ाते है। संतान की मन्नत रखने वाले भक्त यहां झूले चढ़ाते है। ईडाणा माता परिसर में दर्शन के लिए मां का दरबार, अखंड ज्योति दर्शन, धुनी दर्शन, रामदेव मंदिर एवं एक बड़ी भोजनशाला है।
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