इस पृथ्वी पर कितने ही परिवर्तन होते रहते हैं। समय का अपना ऐसा चक्र होता है जिसके आगे हर सजीव और निर्जीव को नतमस्तक होना पड़ता है और कभी कभी तो अस्तित्व भी खोना पड़ता है। ऐसा ही कुछ आज के उत्तरी नामीबिया और बोत्सवाना देशों की भूमि पर लाखों साल पहले कुछ घटा था। वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि कभी इस भूभाग में विश्व की सबसे बड़ी झील हुआ करती थी। काल चक्र में कुछ ऐसा घटा जिसके फलस्वरूप इस विशाल झील को जीवन देने वाली नदियां समाप्त हो गई, अफ्रीका की तेज गर्मी ने पानी को वाष्पित कर दिया और नीचे की धरती ने पानी को सोख लिया। एक झील जो संभवतः 130 किलोमीटर लंबी और 50 किलोमीटर चौड़ी थी प्यासी मर गई और एक विशाल जीवन विहीन मैदान में तब्दील हो गई।

मैदान भी ऐसा कि मई से लेकर नवंबर तक जहां तक आंखे देख सकती हैं वहां तक सूखे का साम्राज्य नजर आता है। न कोई परिंदा और ना ही घास का एक पौधा। लगता है प्रकृति ने यहां जीवन पर हर तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं। धरती पर मानो सूर्य ने छाले पैदा कर दिए हों, हर तरफ तेज धूप से फटती धरती नजर आती है। स्थानीय लोग इसे इटोशा पैन कहते हैं जिसका मतलब है मरीचिकाओं का मैदान या जलविहीन स्थान।

यह विशाल सुखा मैदान एक बहुत बड़े इटोशा बेसिन का हिस्सा है जो बोत्सवाना तक जाता है। यह मैदान प्रकृति की एक चमत्कारिक घटना के कारण इटोशा राष्टीय पार्क घोषित कर दिया गया है। नवंबर के बाद इस जीव विहीन, वनस्पति विहीन और अत्यंत सूखे मैदान में जो कुछ होता है वह पृथ्वी पर और कहीं भी नहीं होता। नवंबर के बाद यहां हमेशा जोरदार बरसात होती है। उस समय यहां पानी से लदे विशाल काले बादल पूरे आसमान पर आच्छादित हो जाते हैं और जमकर बरसते हैं।

बरसात के साथ ही इस भूमि पर पड़े करोड़ों करोड़ घास के बीज फूट पड़ते हैं और कल तक जहां हर तरफ सुखा था आज पानी की झील सी बने मैदान पर हरियाली का मनमोहक विस्तार नजर आता है। बरसात की सौंधी खुशबू और घास की महक दूर तक फैल जाती है जिसके कारण हजारों जेब्रा, हिरण, हाथी, जिराफ, मृग और उनकी प्रजाति स्प्रिंगबॉक चारों तरफ फैल जाते हैं। जब शिकार है तो शिकारी भी आयेंगे। शेर, भेड़िए, चीता, जंगली कुत्ते आदि मांसाहारी जीव भी शिकार का आनंद लेने आ पहुंचते हैं।

चूंकि चारों तरफ बरसाती पानी है और जहां पानी होगा वहां कीड़े मकोड़े और मछली भी पैदा हो जाएंगी तो उनका शिकार करने गुलाबी पंखों वाले फ्लेमिंगो और अन्य सैंकड़ों पक्षी भी हर तरफ नजर आने लगते है। जो स्थान कुछ समय पहले पूर्ण निर्जीव था आज वहां हर तरफ जीवन की गहमागहमी देख कर मन रोमांचित हो उठता है क्योंकि धरती पर ऐसा और कहीं नहीं होता है। यहां का स्प्रिंगबोक हिरण 15 मीटर लंबी छलांग लगा सकता है और 90 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है

यहां की सरकार ने एक कार्य अच्छा किया है कि स्थानीय खानाबदोश लोगों को भूमि आमंत्रित कर दी जिसके कारण यह राष्ट्रीय मार्क नष्ट होने से बच रहा है। दूसरा कारण यह है मई से नवंबर की अति तीव्र धूप में यदि कोई व्यक्ति इस भूमि से छेड़छाड़ करेगा तो कोयले में तब्दील हो जाएगा। लगता तो यही है कि निकट भविष्य में पृथ्वी का यह भूभाग स्वयं अपनी रक्षा करता रहेगा।