जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर आया है। इस मामले से जुड़े 123 परिवादों की जांच कर SOG ने संबंधित थानों में भेजना शुरू कर दिया है। इन परिवादों पर संबंधित थानों में FIR दर्ज होना भी शुरू हो गई हैं। कुछ दिन पहले ही इस घोटाले के पीड़ितों से मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी थी कि सभी आरोपियों को जेल भेजा जाएगा। साथ ही उन्होंने इस बात को भी दोहराया था कि जिन आरोपों में इस घोटाले के मजरिम जेल में बंद हैं, उन्ही आरोपों में गजेन्द्र सिंह का भी नाम है।

एसओजी की ओर से अब तक 123 परिवाद एफआईआर में दर्ज होने के लिए थाने में भेज दिए गए हैं। जिसमें जोधपुर कमिश्नरेट को 25 परिवाद, जोधपुर ग्रामीण में 11 परिवाद, बाड़मेर में 57 परिवाद, जालोर में 30 परिवाद एसओजी ने भेजे हैं। जानकारी के अनुसार जोधपुर कमिश्नरेट के अलग-अलग थानों और जोधपुर ग्रामीण में एफआईआर दर्ज होना शुरू हो चुकी हैं।

संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी की ओर से निवेशकों को मोटा मुनाफा देने का लालच देकर करोड़ों रुपए की ठगी के मामले में राज्य सरकार ने कड़ा रुख ले लिया हैं। संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के विरुद्ध पिछले 10 दिनों में करीब 22 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हुई हैं। एफआईआर दर्ज होने का सिलसिला अभी जारी है। जिस तरह से एफआईआर दर्ज हो रही हैं उससे लग रहा है कि आने वाले समय में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह की परेशानी बढ सकती हैं।

जोधपुर के मथानिया थाने में 9 मुकदमे दर्ज

संजीवनी को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी के खिलाफ 9 प्रकरण दर्ज हुए हैं। इन सभी मामलों में लाखों रुपए की धोखाधड़ी हुई है। सोसायटी के खिलाफ बुधवार को पांच केस दर्ज हुए थे। चारों प्रकरण मथानिया थाने में दर्ज करवाए गए थे। एसओजी को और शिकायतें मिलने पर अब पुलिस ने प्रकरण दर्ज करना शुरू किया है।

निवेशकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिल कर बताई थी अपनी पीड़ा
आपको बता दें कि राजस्थान की अलग-अलग जेलों में संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के कई आरोपी जेलों में बंद हैं। करीब 20 दिन पहले निवेशकों ने एक पत्र लिख कर मुख्यमंत्री से समय मांगा था। जिसके बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने दो दिन बाद सभी को समय दिया। इस दौरान निवेशकों ने मुख्यमंत्री से मांग की थी कि वह संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ एक्शन लें जिससे आरोपियों की गिरफ्तारी हो और उनकी संपत्ति कुर्क कर निवेशकों को पैसा मिल सके। मुख्यमंत्री से मिले आश्वासन के बाद सभी व्यापारी लौट गए थे। जिसके बाद अब संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के नाम मुकदमें दर्ज होना शुरू हो गए हैं।

संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा
केन्द्रीय मंत्री शेखावत जी को चाहिए समय रहते आगे आकर सब की मदद करें। गरीबों को कैसे पैसा वापस मिल सकता है दिलवाएं। बड़ा घोटाला हुआ है और उनका खुद का नाम उसके अंदर है। पूरे परिवार का नाम है। जो मुल्जिम आज जेल में हैं उन्ही आरोपों में उनका नाम भी है और उनको चाहिए की केन्द्रीय मंत्री बन गए हैं उनके लिए तो जिम्मेदारी बढ जाती है। राजस्थान भर के लोग आए थे। मारवाड़ के घर-घर में पीड़ित हैं। लाख, 50 लाख, दो करोड़ तक पैसा डूब गए लोगों के। हम तो जो कानून कहता है उसके तहत कार्रवाई कराएंगे।

दो दिन पहले मंगलवार को जोधपुर दौरे पर मुख्यमंत्री ने ये बातें कहीं। शेखावत पर निशाना साधते हुए कहा- अफ्रीकी देश इथियोपिया में जो पैसा लगाया है वह पैसा लूटा हुआ है। वह जनता को बताएं कि यह पैसा आया कहां से? ये जनता को आकर क्यों नहीं बता रहे। जबकि संजीवनी से पीड़ित लोग तीन बार मेरे से मिल चुके हैं।

यह है संजीवनी घोटाला
संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी को राजस्थान सोसायटी एक्ट के तहत 2008 के तहत रजिस्टर्ड कराया गया था। 2010 में इसे सोसायटी मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी के रूप में बदल दिया गया। इसके द्वारा लोगों को अच्छे रिटर्न का लालच दिया गया और जिसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने इसमें निवेश करना शुरू कर दिया।

सोसायटी के प्रथम प्रबंध निदेशक विक्रम सिंह थे, जिसे इस घोटाले का मास्टरमाइंड कहा जाता है और फिलहाल वो जेल में बंद हैं। तकरीबन 1 लाख से ज्यादा लोगों ने इस सोसायटी में करीब 900 करोड़ रुपए का निवेश किया था, लेकिन बाद में सोसायटी द्वारा लोगों को लौटाया नहीं गया।