श्रीगंगानगर - राकेश मितवा 
वरिष्ठ साहित्यकार रामकिशोर उपाध्याय ने कहा है कि साहित्य में तब तक ही आगे बढ़ा जा सकता है, जब तक साहित्यकार में यह भावना बनी रहती है कि वह अभी सीख रहा है। हम कदम-कदम पर सीखते हैं, यही ललक हमें कुछ काबिल बनाती है।
वे रविवार को यहां जवाहरनगर स्थित महाराजा अग्रसेन विद्या मंदिर में सृजन सेवा संस्थान के मासिक कार्यक्रम "लेखक से मिलिए" में बतौर लेखक बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें भी लिखने की प्रेरणा हिंदी साहित्य के मनीषियों को पढ़ते हुए ही मिली। छायावादी कवियों ने हमारी पीढ़ी पर बहुत प्रभाव डाला है। फिर भी कोशिश यही रहनी चाहिए कि आपके लेखन पर किसी की छाया न पड़े।
इस दौरान उपाध्याय ने अपनी मुक्त छंद की कविताएं सुनाईं। उन्होंने कुछ हास्य कविताएं, ग़ज़ल और गद्य व्यंग्य सुनाकर भी वाहवाही लूटी।
विशिष्ट अतिथि श्री गुरुनानक कन्या महाविद्यालय के उपप्राचार्य डॉ. हरीश कटारिया ने शहर में होने वाली साहित्यिक गतिविधियों के लिए सृजन की टीम को धन्यवाद दिया और कहा कि यहां भी प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। आप लोग उन्हें मंच उपलब्ध करवा रहे हैं, यह बहुत अच्छी बात है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री नानकचंद चांगिया चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र चांगिया ने कहा कि व्यक्ति को समय की कद्र करनी चाहिए। समय प्रबंधन करके कार्य करने वाला व्यक्ति अवश्य ही सफल होता है। 
कार्यक्रम के दौरान रामकिशोर उपाध्याय को सृजन साहित्य सम्मान प्रदान किया गया। डॉ. कटारिया, चांगिया और महाराजा अग्रसेन चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष विनोद गुप्ता ने उन्हें शॉल ओढ़ाकर, सम्मान प्रतीक और पुस्तक भेंट करके सम्मानित किया। गुप्ता ने महाराजा अग्रसेन ट्रस्ट की ओर से भी उपाध्याय का सम्मान किया। इससे पहले सृजन के सचिव कृष्णकुमार "आशु" ने उपाध्याय का परिचय दिया। संचालन डॉ. संदेश त्यागी ने किया।
कार्यक्रम में अरुण शहैरिया ताइर, सुरेन्द्र सुंदरम, डॉ. नवज्योत भनोत, योगराज भाटिया, दौलतराम अनपढ़, बन्नी गंगानगरी, ललित चराया, अमित चराया, द्वारका नागपाल, राजू गोस्वामी, महेश गहलोत, अरुण खामख्वाह, सुषमा गुप्ता, ममता आहुजा, परमजीतकौर रीत, ममता पुरी, ऋतु सिंह, सुशीला पेंसिया, सुरेश कनवाड़िया, सतीश शर्मा सहित अनेक साहित्य प्रेमी मौजूद थे।