जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

पांच दिनों से शहीद स्मारक पर धरने पर बैठी पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं से पुलिस ने बदसलूकी की। वीरांगनाओं को सड़क पर घसीटा, जिससे वह बेहोश हो गईं। एक वीरांगना की तबीयत बिगड़ने पर हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। घटना जयपुर में सिविल लाइंस की शनिवार की है। दरअसल, सरकार के रवैये से आहत होकर राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा के साथ पुलवामा शहीदों की तीन वीरांगनाएं राज्यपाल को ज्ञापन देने पहुंचीं। वीरांगनाओं ने ज्ञापन देकर इच्छा मृत्यु मांगी। ज्ञापन देने के बाद वीरांगनाएं सीएम हाउस जाकर मुख्यमंत्री से मिलना चाहती थी। पुलिस ने तीनों को आगे नहीं बढ़ने दिया, बाद में उन्हें घसीटकर गाड़ी में बैठाया। इस दौरान छीना झपटी में शहीद रोहिताश लांबा की वीरांगना मंजू की तबीयत बिगड़ गई। तबीयत बिगड़ने पर वीरांगना को एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

रोते हुए बोलीं- हमसे इतने ही परेशान है तो पुलिस गोली मार दे

पुलिस की बदसलूकी पर वीरांगनाओं ने कड़ा विरोध जताया है। पुलिस छीना-झपटी में घायल हुई मंजू ने रोते हुए कहा कि हम मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखना चाहते थे। हमसे पुलिस ने अपराधियों जैसा व्यवहार किया। हमारी मांगें मानने की जगह बदसलूकी की जा रही है। मुख्यमंत्री से मिलने जाते हैं, पुलिस पीट रही है। यदि सरकार को हमसे इतनी ही परेशानी है तो पुलिस को हमारे सीने में गोली मार देनी चाहिए।

सांसद किरोड़ी बोले- वीरांगनाओं से सरकार अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही

वीरांगनाओं को पुलिस के घसीटे जाने पर राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने सरकार पर निशाना साधा है। डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि सरकार वीरांगनाओं की जायज मांगों को पूरा करने की बजाय तानाशाही कर रही है। विधानसभा के गेट पर धरना देते समय भी पुलिस ने वीरांगनाओं के साथ अभद्रता की। आज तो मारपीट तक कर दी।

किरोड़ी ने कहा- क्या मुख्यमंत्री से मिलने जाना कोई अपराध है, जो पुलिस ने शहीदों की वीरांगनाओं के साथ मारपीट की। उन्हें घसीटते हुए गाड़ी में डाला। यदि मुख्यमंत्री मुझसे नहीं मिलना चाहते तो कम से कम वीरांगनाओं से तो एक बार मिल लें। वे तो खुद को गांधीवादी कहते हैं।

प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह धरने में शामिल हुए

पांच दिन से सांसद किरोड़ीलाल मीणा शहीद समारक पर वीरांगनाओं के साथ धरना दे रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह धरने में शामिल हुए। अरुण सिंह ने कहा कि वीरांगनाओं की मांगें इतनी बड़ी नहीं है कि सरकार इन्हें पूरा नहीं कर पाए। खुद मंत्रियों ने जो घोषणाएं कीं, उन पर ही अमल करना चाहिए। ऐसा करने की बजाय सरकार वीरांगनाओं को प्रताड़ित कर रही है।

सभी मांग पूरी करने का दावा

वहीं, सरकार से जुड़े लोगों का कहना है कि पुलवामा में शहीद हुए रोहिताश्व लाम्बा के परिवार को पात्रता के अनुसार संशोधित सभी ग्रांटस राजस्थान सरकार की ओर से दी जा चुकी हैं। इसमें शहीद के परिवार को 50 लाख रुपए व माता-पिता को 5 लाख रुपए की राशि भी शामिल है।

वहीं, शहीद के भाई को नौकरी इसलिए नहीं दी जा सकती है कि नियमों में केवल पत्नी या बच्चे के लिए प्रावधान है। शहीद के बेटे को आयु के हिसाब से योग्य होने पर नौकरी दी जाएगी। एक सरकारी स्कूल का नाम भी शहीद के नाम पर किया गया है।