पसीना हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की एक प्राकृतिक क्रिया है। गर्मी में या फिर मेहनत करने के फलस्वरूप जब शरीर का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है तो त्वचा से पसीना छूटता है जिसके वास्पीकरण द्वारा शरीर का तापमान कम हो जाता है। सर्दी के मौसम में इसके विपरीत होता है जब मस्तिष्क द्वारा पसीना बनाने की ग्रंथियों पर रोक लगा दी जाती है ताकि ऊर्जा की बचत करके शरीर को गर्म रखा जा सके। पसीना आने या ना आने की क्रिया को मस्तिष्क नियंत्रित करता है परंतु कुछ लोगों के शरीर के कुछ भागों में जन्म से ही यह नियंत्रण विकसित नहीं हो पाता है। इन लोगों के उन विशिष्ट क्षैत्राें से लगातार पसीना निकलता रहता है जो एक बड़ी कष्टदायक और मानसिक प्रताड़ना वाली स्थिति होती है। ऐसा अक्सर हाथों, पांवों या माथे पर पाया जाता है।

यदि किसी व्यक्ति को यकायक तेज पसीना आ जाए तो यह सामान्य स्थिति नहीं होती है। इन मामलों में हृदयाघात या फिर शरीर की ऊर्जा में अत्यधिक गिरावट आने की प्रबल संभावना होती है। इस तरह की स्थितियों में बेहतर होगा कि किसी अनुभवी चिकित्सक की सलाह ली जाए। कभी कभी अत्यधित भय, तनाव, क्रोध या अनहोनी की आशंका से भी शरीर पसीने पसीने हो जाता है। जो लोग मधुमेह रोग से ग्रसित हैं उनके यदि कमजोरी के साथ पसीना आ जाए तो रक्त शर्करा के स्तर में अत्यधिक कमी की बड़ी संभावना होती है जो यदि उपचार नहीं किया जाए तो जानलेवा हो सकती है।

कुछ मामलों में और खासकर महिलाओं में हार्मोन असंतुलन या मेनोपॉजल सिंड्रोम के दौरान तीव्र पसीना आता है, पुरुषों में भी एंडोपाउस के समय ऐसा हो सकता है। इन्सुलिन पर निर्भर टाइप वन डायबिटीज में शरीर के ऊपरी हिस्से में पसीना ज्यादा आता है पर पैरों में इसकी कमी हो सकती है। पेरीफेरल न्यूराइटिस नामक रोग में भी पसीना या तो अत्यधिक आता है या फिर बिलकुल ही कम होने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ग्रंथियों पर से स्नायुतंत्र ( नर्वस सिस्टम ) का नियंत्रण समाप्त हो जाता है।

थायराइड ग्रंथि की कार्यविधि बिगड़ने से भी पसीने की ग्रंथियों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। हाइपोथाइरॉइड में पसीना आना बहुत कम हो जाता है जबकि हाइपरथायरॉयड में पसीना ज्यादा आने लगता है। इसके अलावा कैंसर की कुछ विशिष्ट स्थितियों में भी शरीर कुछ ठंडा सा रहने लगता है क्योंकि थोड़ा सा पसीना हर समय निकलता रहता है। इस तरह से हम देखते हैं कि चाहे अधिक हो या फिर ज्यादा कम, यदि पसीना सामान्य तरीके से नहीं निकलता है तो शरीर की जांच की आवश्यकता होती है।