दौसा ब्यूरो रिपोर्ट।
राइट टू हेल्थ बिल को लेकर प्राइवेट अस्पतालों व राज्य सरकार के बीच चल रहे विवाद पर चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा डॉक्टरों की मांग के अनुसार संशोधन करने के बाद ही बिल पारित किया है।
इसके बावजूद डॉक्टरों को कोई शिकायत है तो उन्हें मुख्य सचिव से वार्ता करनी चाहिए। सरकार उसका समाधान निकालेगी। चिकित्सा मंत्री ने यह बात रविवार को दौसा में कांग्रेस के धरना प्रदर्शन में शामिल होने के दौरान कही। उन्होंने कहा कि एक्ट में डॉक्टर्स के कहे अनुसार ही सांप काटने, एक्सीडेंट व किसी जानवर के खाने की घटनाओं को ही इमरजेंसी में शामिल किया है। उसके बाद डॉक्टर एसोसिएशन के सुनील चुघ ने स्टेटमेंट दिया था कि सरकार में हमारी सारी बातें मान ली, हम खुश हैं और बिल का समर्थन करते हैं।लेकिन सरकार से वार्ता करने के बावजूद मुकर गए। मुख्यमंत्री ने चीफ सेक्रेटरी को कहा है कि डॉक्टर से बात करके जल्द समाधान निकालिए।
एक्ट की कमियां बताए, सुधार करेंगे
चिकित्सा मंत्री ने कहा देश में यह पहला विधेयक है जो पक्ष और विपक्ष की सहमति से पारित हुआ है। लेकिन बिल की कमियां डॉक्टरों को सरकार को बताना चाहिए। चिरंजीवी योजना में 2 साल से काम करते वक्त तो इनको कोई शिकायत नहीं हुई। राइट टू हेल्थ जैसे कानून बनने के बाद देश में बड़ा बदलाव आया है। WHO की गाइडलाइन के अनुसार बने एक्ट में कोई कमी रह गई हो तो सरकार को बताएं, हम उसमें बदलाव करने को तैयार हैं, सरकार ने डॉक्टरों की एक भी मांग को ना नहीं कहा और आज भी सरकार तैयार है, लेकिन एक्ट की कमियां बताए बिना सुधार कैसे किया जा सकता है।
डॉक्टरों से नाराजगी नहीं, जनता सर्वोपरि
उन्होंने कहा डॉक्टर्स को मूल एक्ट व पारित हुए एक्ट को देखना चाहिए। उनकी मांगों के अनुसार बदलाव के कारण एक्ट में दिन-रात का बदलाव आ गया है। हमें डॉक्टरों से कोई नाराजगी नहीं है, लेकिन हमारे लिए तो जनता सर्वोपरि है
जोधपुर के घटनाक्रम से पूरे देश में बदनामी हुई
वहीं जोधपुर की घटना को शर्मनाक बताते हुए चिकित्सा मंत्री ने कहा चिरंजीवी कार्ड होने के बावजूद प्राइवेट अस्पताल ने मरीज से एडवांस पैसा ले लिया, इसके कारण विधायक को धरने पर बैठना पड़ा। उस घटनाक्रम के कारण पूरे देश में हमारी बदनामी हुई। उसी के कारण हमें यह एक्ट लाना पड़ा है।
एक भी हॉस्पिटल का पेमेंट बकाया नहीं
चिकित्सा मंत्री ने कहा जिसके पास चिरंजीवी कार्ड है, उसका इलाज होना चाहिए। जबकि हम अस्पतालों को 20 दिन में ही पेमेंट जारी कर रहे हैं। एक भी अस्पताल का पेमेंट सरकार की तरफ बकाया नहीं है। ऐसे में डॉक्टरों से अपील करता हूं कि अपनी बात बताएंगे तो समाधान निकाल लेंगे, इसमें सरकार को कोई दिक्कत नहीं है। सरकार कोई जिद नहीं कर रही, डॉक्टरों ने जो कहा सब बदलाव किए हैं, फिर भी कुछ बाकी रह गया हो तो उसे भी ठीक कर देंगे।
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