उसका नाम था सेसिल रहोड्स। वह हीरों का विश्वस्तरीय व्यापारी था जिसने अफ्रीका से हीरे एवम् अन्य कीमती पत्थर निकाल कर अकूत धन कमाया और अफ्रीका के एक बड़े भूभाग को खरीद कर अपने उपनाम से रोडेशिया नामक के एक देश बना डाला। बाद में जब अफ्रीका को आजादी मिली तो रोडेशिया जांबिया और जिम्बाब्वे में विभक्त हो कर दो राष्ट्र बने। इसमें जिंबाब्वे सोने का देश कहला सकता है। यहां की भूमि से अभी तक लाखों किलो सोना निकाला जा चुका है पर जिम्बाब्वे दुनियां के सबसे गरीब देशों में से एक है। कुछ हद तक दुबई का तीव्र विकास जिम्बाब्वे के सोने से ही हुआ है। सवाल उठता है कि जब इतना सोना है तो देश इतना गरीब क्यों है ? जिम्बाब्वे की सरकार और प्रशासन सदा से ही भ्रष्ट रहे हैं। लाखों करोड़ रुपयों का सोना दुबई जाता रहा है, विदेशी बैंकों में नेताओं और अधिकारियों का धन तीव्र गति से बढ़ता रहा है और देश भूखा मरता रहा है। धन के इस आवागमन में यूरोप और अमेरिका के स्मगलर शामिल होते रहे हैं।

परिणाम यह हुआ कि 2008-09 में जिम्बाब्वे में अविश्वसनीय मुद्रास्फीति रही। कोई विश्वास भी नहीं करेगा कि यह  मुद्रास्फीति दर दो करोड़ इकतीस लाख प्रतिशत थी। लोगों को एक डबलरोटी खरीदने के लिए पूरा बोरा भरकर वहां की मुद्रा ले जानी पड़ती थी। चूंकि जिम्बाब्वे के लोग सत्ता का विरोध नहीं करने के आदि रहे हैं, वर्षों की गुलामी ने उन्हें राष्ट्रपति की पूजा और अंधभक्ति का आदि बना डाला तो राजनेता, अधिकारी और स्मगलरों की मौज हो गई। इसीलिए जानकार लोग प्रभावी विपक्ष की बाते करते हैं।

इसी जिम्बाब्वे में मतोपो नामक पहाड़िया हैं जो धरती पर अद्वतीय हैं। यहां ऊपर आसमान में काले बाज उड़ रहे होते हैं जिन्हें स्थानीय लोग अपने पूर्वजों की आत्मा मानते हैं। पहाड़ पर ग्रेनाइट की विविध कृतियां नजर आती हैं जिन्हे देख कर लगता है कि समय के किसी दौर में अति शक्तिशाली लोगों ने पत्थरों को एक दूसरे पर रख दिया होगा परंतु ऐसा है नहीं। माना जाता है कि ये पर्वत और पत्थर कोई लाखों साल पहले बने हैं जब धरती का वातावरण भी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ था। आगे चलकर तेज हवा, बरसात, मिट्टी, सर्दी और गर्मी ने इन्हे ऐसी मनोहारी आकृति दे दी। हरी भरी पहाड़ी पर ये अति मनोहारी लगते हैं।

सेसिल रहोड्स की मृत्यु यहीं हुई और उसकी कब्र इन्ही मातोपो पहाड़ियों पर है जिसे कोई तीन टन के पत्थर से ढका गया है। पास के एक पहाड़ जिसे स्थानीय लोग "नंगी खोपड़ी पहाड़"  कहते हैं पर इस क्षैत्र के एक ट्राइबल नेता की भी कब्र है। कोई बीस हजार साल पहले यहां सान नामक कबीले के लोग रहते थे जिन्होंने पहाड़ों की गुफाओं में भित्ति चित्र बना कर उस समय की जानकारी देने का प्रयास किया है। इन भित्ति चित्रों से अंदाजा लगता है कि उस समय यहां के लोग ज्योमेट्री के बारे में कुछ कुछ जानने लगे थे।

जिम्बाब्वे के पास सोना देती धरती है, पर्यटन की बड़ी संभावनाएं हैं, बड़ी संख्या में अंग्रेजी बोलने वाले लोग हैं, उपजाऊ भूमि है पर फिर भी यह एक अति दरिद्र देश है। इसका सबसे बड़ा कारण यह रहा है कि कहने को यहां स्थाई सरकार रही है परंतु लोग आधुनिक शिक्षा को नहीं अपनाते, जो एक बार राष्ट्रपति बन गया वह हटता ही नहीं, अपने विपक्ष को नष्ट कर भ्रष्ट सत्ता को सर्वोत्तम सिद्ध कर देश की संपदा सोने को दुबई के रास्ते स्मगल करवाता है। जिम्बाब्वे अति धनी राजनेताओं का दरिद्र देश है। रॉबर्ट मुगाबे 1980 से लेकर 2017 तक इस देश की सत्ता पर आसीन रहा और यहां की दो पीढ़ियों को कंगाली की हालत में जीने को मजबूर किया। मुगाबे में सुनहरे भविष्य के सपने जगाए रखने की अद्भुत क्षमता थी और था उसका आतंक।