जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
बिजौलिया के नया नगर में वन विभाग की 227.10 बीघा बेशकीमती जमीन नौ लोगों के नाम करने का मामला अब विधानसभा पहुंच गया है। राजस्व मांगाें पर चर्चा के दाैरान गुरुवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने यह मामला उठाते हुए इस बड़ा संघीन मामला बताया।
राठौड़ ने विधानसभा में इस मामले में क्या कहा
‘मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। मंत्री महोदय 20 जनवरी के राजस्व मंडल के आपके इलाके में आए फैसले ने हिलाकर रख दिया। क्योंकि बिजौलिया क्षेत्र में 15 करोड़ रुपए बीघा की जमीन है। 227 बीघा जमीन 3400 करोड़ रुपए की है। इसमें एक लाख पेड़ लगे हैं। इस जमीन में 80 फीसदी सैंड स्टोन है। वहां पर पैंथर, भालू, सियार हैं। 1945 में उदयपुर रियासत में पहाड़ दर्ज है। 1965 से यह जमीन वन विभाग के नाम दर्ज है। 55 साल से लगातार वहां पर कोई खेती नहीं हो रही। किसी का कब्जा नहीं है। 1984 में एक गोदनाम तैयार किया गया। गोदनामा के आधार पर एक वाद मांडलगढ़ एसडीएम कोर्ट में दर्ज किया गया। एसडीएम ने 12 जून 2014 को उस वाद को खारिज कर दिया।
पुन: मामला आरएए कोर्ट में गया। 25 जून 2019 को उस कोर्ट ने एसडीएम कोर्ट को सेट असाइट कर दिया। इसके बाद मामला राजस्व मंडल में गया। राजस्व मंडल ने इसी 20 जनवरी को यह जमीन आनन-फानन में नौ खातेदारों के नाम कर दी। यदि इस प्रकार गोदनाम के आधार पर...गोदनामा के आधार पर मैने ऐसा पहला मामला देखा है जिसमें तीन परिवारों के नाम पर 3400 करोड़ रुपए की जमीन कर दें।’
अवस्थी ने भी मामला विधानसभा में रखा
यह मामला गुरुवार को भीलवाड़ा शहर विधायक विट्ठलशंकर अवस्थी ने भी विधानसभा में रखा। अवस्थी ने भास्कर को बताया कि बेशकीमती 227 बीघा वन विभाग की जमीन इस तरह से निजी लोगों को आबंटित करने के मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। अभी तक जिले से भाजपा और कांग्रेस के नेता इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। अवस्थी जिले के पहले विधायक हैं जिन्होंने यह मामला सदन में रखा है। बाकी विधायक अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं।
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