हनुमानगढ़ - विश्वाश कुमार
केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट पर डीसीसी के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र दादरी ने विज्ञप्ति जारी कर की सवाल उठाते हुए आमजन के सपनों को धराशाही करने वाला बजट बताया व दादरी का कहना है की वर्तमान केंद्र सरकार के कार्यकाल का आखरी पूर्ण बजट होने से किसानों,युवाओं, महिलाओं,उद्यमियों एवं व्यापारियों को भारी उम्मीदें थी लेकिन इस बजट से किसान मायूस, युवा हताश और महिलाएं निराश रही है।कमरतोड़ महंगाई बढ़ती गैस की कीमतों एवं रसोई की रोज की जरूरतों के सामान कीमतों में महिलाओं को राहत मिलने की उम्मीद थी लेकिन केंद्र सरकार ने कोई राहत नहीं दी । युवाओं को रोजगार के क्षेत्र में निराशा हाथ लगी है देश में पहले ही बेरोजगारी का आंकड़ा सर्वाधिक है और अब इस बजट में युवाओं के रोजगार के अवसर नहीं होने से और भी रिकॉर्ड तोड़ बेरोजगारी होगी । 
पहली बार केंद्र सरकार के किसी बजट में किसानों को कुछ नहीं दिया गया है जिससे किसान मायूस है।सरकार की संकीर्ण नीतियों व गलत सोच का सर्वाधिक दुष्प्रभाव उन करोड़ों गरीबों किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के जीवन पर पड़ता है जो ग्रामीण भारत से जुड़े हैं और असली भारत कहलाते हैं. सरकार उनके आत्म-सम्मान व आत्मनिर्भरता पर ध्यान दें, ताकि आमजन की जेब भरे व देश विकसित हो.केंद्र सरकार द्वारा अगले वित्त वर्ष के लिए पेश बजट में मनरेगा जैसी जन लोक कल्याणकारी एवं अति महत्वाकांक्षी योजना के बजट में 30,000 करोड रुपए की कटौती करना यह साबित करता है कि यह बजट भूमिहीन किसानों गरीब मजदूरों एवं वंचित वर्ग के हितों के विपरीत बजट है। इसी प्रकार कृषि एवं किसान कल्याण कोष की राशि में बढ़ोतरी करने के बजाए इस वर्ष 7500 करोड रुपयों की कटौती की गई है,साथ ही किसानों की सर्वाधिक आवश्यकता की जरूरत यूरिया के लिए बजट में गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 23000 करोड रुपयों की कटौती की गई है। ऐसे एक नहीं कई उदाहरण है जिन से स्पष्ट प्रमाणित है कि केंद्र सरकार ने किसानों के हितों पर कुल्हाड़ी चलाई है केन्द्र सरकार को यह याद रखना चाहिए कि भारत लगभग 130 करोड़ गरीबों,मजदूरों,वंचितों, किसानों आदि का विशाल देश है जो अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं।आयकर सीमा बढ़ाने की घोषणा पर केंद्र सरकार एवं वित्त मंत्री अपनी पीठ थपथपा रही है वह भी एक छलावा है वास्तविकता में पहले 2 लाख 50 हजार की शुद्ध आय कर मुक्त थी अब वह सीमा 3 लाख की गई है वास्तविकता में केवल 50 हजार की अतिरिक्त आय को कर मुक्त किया गया है और 7 लाख की आय कर मुक्त होने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। इस बजट ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि यह केंद्र सरकार केवल चंद कॉरपोरेट्स को लाभ पहुंचाने वाली केंद्र सरकार है आम जनता की भलाई या राहत से उसे कोई लेना देना नहीं है आमजन निराश एवं हताश है