श्रीगंगानगर - राकेश मितवा 
पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी राजस्थान एवं स्थानीय सृजन सेवा संस्थान व नोजगे पब्लिक स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय बाल साहित्य उत्सव  यहां नोजगे ऑडिटोरियम में हुआ। इसमें राष्ट्रीय स्तर के अनेक बाल साहित्य रचनाकारों के साथ स्थानीय साहित्यकारों ने तो विचार-मंथन किया ही, विभिन्न विद्यालयों के बच्चों ने भी बालगीत, संवाद, पुस्तक चर्चा, सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम का उद्घाटन सुबह 11 बजे हुआ। इसमें मुख्य अतिथि विधायक राजकुमार गौड़ थे। उन्होंने इस मौके पर संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपनी संस्कृति को बचाना है। नई पीढ़ी को संस्कारित करना है तो बाल साहित्य से जुडऩा पड़ेगा। गौड़ ने कहा कि आज सामाजिक ताना-बाना बिगड़ रहा है। ऐसे में साहित्यकारों पर और अधिक जिम्मेदारी आ गई है क्योंकि इस स्थिति से साहित्य ही हमें उबार सकता है। उन्होंने कहा कि साहित्यकार बच्चों का भविष्य बना सकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बाल साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष बुलाकी शर्मा (बीकानेर) ने कहा कि देश में पहली बार राजस्थान में बाल साहित्य अकादमी का गठन किया गया है। श्रीगंगानगर के साहित्यिक वातावरण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यहां इतना अच्छा साहित्यिक वातावरण है, कहीं इसे नजर न लग जाए।
इससे पहले अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम संयोजक गोविंद शर्मा (संगरिया)  ने बाल साहित्य की गतिविधियों पर प्रकाश डाला व कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। सृजन के उपाध्यक्ष भूपेंद्रसिंह ने स्वागत किया। सत्र का संचालन सचिव कृष्णकुमार आशु ने किया।
दोपहर के सत्र में बाल प्रतिभा सम्मान हुआ। इसमें पुरानी आबादी स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय नंबर दो के बच्चों ने कार्यक्रम में आए हुए बाल साहित्य रचनाकारों की कविताओं और बालगीतों का वाचन करके सबको चौंका दिया। प्रस्तुति देने वाले बच्चों में छवि, दीपानी वर्मा, मोहिनी, साक्षी व प्रियांशु शामिल थे। दो नन्हीं बालिकाओं वृंदा सिंह और दिशा जेसानी ने भी काव्यपाठ किया। नोजगे स्कूल के बच्चों-दृष्टि, नीरवी, लवीनूर, जीवेशा, आंचल, आद्या और नीतिज्ञा ने सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किया। द्वीप गोयल ने स्वरचित कविता सुनाई और पुतुल ने एकल अभिनय प्रस्तुत किया। इसके बाद महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) इंदिरा चौक के बच्चों ने चाचा नेहरू पर एक बाल नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। उपस्थित साहित्यकारों से बच्चों ने कई सवाल किए। इनका साहित्यकारों ने जवाब दिया। इन सभी बाल प्रतिभाओं को मेडल पहनाकर, पुस्तक व प्रमाण पत्र भेंट करके पुरस्कृत किया गया। इन्हें प्रशिक्षण देने वाले अध्यापक-अध्यापिकाओं को भी सम्मानित किया गया। इस सत्र में मुख्य अतिथि हनुमानगढ़ के बालसाहित्य रचनाकार दीनदयाल शर्मा थे। अध्यक्षता रायसिंहनगर के डॉ. मंगत बादल ने की। चित्तौडग़ढ़ से आए राजकुमार जैन राजन विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। संचालन मीनाक्षी आहुजा ने किया। इसके बाद अपराह्न तीन बजे ‘इंटरनेट, सोशल मीडिया और बाल साहित्य’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। मुख्य वक्ता वरिष्ठ आलोचक डॉ. बबीता काजल ने कहा कि आज बच्चा डोरीमैन और नोबिका को इंटरनेट पर कार्टून के रूप में देखता है और वैसी ही कल्पना करने लगता है। उसकी महत्वाकांक्षा वहां तक पहुंचती है। ऐसे में वह मोबाइल और इंटरनेट में उलझ जाता है। इसके फायदे भी हैं लेकिन नुकसान भी कम नहीं। इसलिए इस पर नजर रखने की आवश्यकता है।
मुख्य अतिथि मेरठ लिटरेचर फेस्टीवल (मेरठ) के सीईओ डॉ. विजय पंडित ने कहा कि आज के बच्चे दादी-नानी की उन कहानियों से दूर हो गए हैं, जो हमने सुनी थीं। ऐसे में इंटरनेट ही उनका सहारा है। हम इंटरनेट से दूर नहीं हो सकते लेकिन इसमें सावधानी तो बरत ही सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में सिलिगुड़ी से आए भगवानदास शर्मा ने कहा कि हमें बाल मनोविज्ञान को समझना होगा। आज के बच्चे आपसे सवाल पूछते हैं, आपके पास जवाब नहीं होता। आप कुछ पूछेंगे तो तुरंत गूगल पर देखकर बता देंगे।
विशिष्ट अतिथि हनुमानगढ़ के नरेश मेहन ने कहा कि आज के एकल  परिवारों ने बच्चों को इंटरनेट के भरोसे छोड़ दिया है। यह बड़ी चिंताजनक स्थिति है।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए नोजगे पब्लिक स्कूल के चेयरमैन डॉ. पी.एस. सूदन ने कहा कि बच्चों पर अधिक पाबंदिया लगाना उचित नहीं है। आप उन्हें छूट दें, जो वे करते हैं, करने दीजिए, बस ध्यान रखिए। वे सही राह पर ही जाएंगे। इस सत्र का संचालन डॉ. संदेश त्यागी ने किया। सृजन के अध्यक्ष डॉ. अरुण शहैरिया ‘ताइर’ ने आभार जताया। बाहर से आए सभी साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। विशेष रूप से मेरठ से आए डॉ. विजय पंडित और सिलिगुड़ी से आए भगवानदास शर्मा को सृजन साहित्य सम्मान प्रदान किया गया।