जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
संसदीय कार्य मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल ने विधानसभा में कहा कि प्रदेश में ऑनलाइन धोखाधड़ी तथा साइबर क्राइम के दर्ज प्रकरणों में तफ्तीश प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों एवं पुलिस कार्मिकों के द्वारा की जाती है। आवश्यक प्रशिक्षण के बाद ही ऐसे पुलिस कार्मिकों को साइबर थानों में पदस्थापित किया जाता है। धारीवाल गृह विभाग की ओर से प्रश्नकाल के दौरान विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे । संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में साइबर अपराधों के प्रभावी अनुसंधान के लिए 32 साइबर थाने खोलने की घोषणा की गई थी। इनमें से 18 थाने स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें 135 प्रशिक्षित अधिकारियों-कर्मचारियों का पदस्थापन किया जा चुका है। शेष थानों की स्थापना प्रक्रियाधीन है। जैसे-जैसे भूमि की उपलब्धता होगी सभी थाने खोल दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकरण में एफआर लगाने के पीछे अदम पता माल मुलजिम, अदम वकू झूठ, तथ्य की भूल तथा प्रकरण के सिविल प्रकृति के होने सहित अन्य कई कारण होते हैं, जिसके आधार पर ही अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है। इससे पहले विधायक संदीप शर्मा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में धारीवाल ने बताया कि प्रदेश में विगत तीन वर्षों में ऑनलाइन धोखाधड़ी के 2427 तथा साइबर अपराध के 4405 प्रकरण दर्ज हुए हैं। संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि इस अवधि में पुलिस ने ऑनलाइन धोखाधड़ी के दर्ज प्रकरणों में 260 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। साथ ही 235 मामलों में चालान एवं 1841 प्रकरणों में एफआर पेश की गई। साइबर अपराध के दर्ज प्रकरणों में 1474 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है एवं 1443 प्रकरणों में चालान एवं 2278 प्रकरणों में एफआर प्रस्तुत की गई है। धारीवाल ने इन प्रकरणों का जिलेवार संख्यात्मक विवरण तथा साइबर अपराधों को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों का विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम इन्वेस्टीगेशन यूनिट का गठन करने के बाद विभाग ने जागरूकता अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप ही साइबर अपराधों के पंजीयन में वृद्धि हुई है।