जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

केन्द्र सरकार से पूरे देश में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू करने की मांग कर रहे सीएम अशोक गहलोत के लिए अभी प्रदेश के ही एक लाख से ज्यादा कर्मचारियों को ओपीएस देना पहेली बना हुआ है। बजट घोषणा को 10 महीने बीत चुके, दूसरा बजट आने को है लेकिन अब तक सरकार ओपीएस से वंचित चल रहे कर्मचारियों को ओपीएस देने की घोषणा नहीं कर पाई है। इनमें सर्वाधिक कर्मचारी ऊर्जा विभाग के वितरण व उत्पादन निगमों में हैं, जिनकी संख्या लगभग 55-56 हजार है। इनके अलावा करीब 44-45 हजार कर्मचारी विभिन्न बोर्ड, निगम, कॉर्पोरेशन, मंडल, न्यास, ट्रस्ट आदि के हैं।

ओपीएस से वंचित करीब एक लाख कर्मचारियों को यह लाभ देने पर सरकार पर लगभग 11-12 हजार करोड़ रुपए का आर्थिक भार पड़ेगा, जिसका इंतजाम करना ही सबसे बड़ी मुसीबत बना हुआ है। केन्द्र सरकार ने बहुत पहले ही पेंशन के पेटे राज्य सरकार द्वारा मांगे जा रहे 41 हजार करोड़ रुपए देने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया है।

ओपीएस से वंचित भी सरकारी कर्मचारी ही हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि वे सरकारी विभागों के तहत चलने वाले बिजली निगम, पर्यटन विकास निगम, रोडवेज, यूआईटी, मेट्रो रेल आदि में कार्यरत हैं। जब मार्च-2023 में सरकार ने बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू करने की घोषणा की थी, तो वो केवल सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए ही थी।

अब निगम-बोर्ड के कर्मचारी विधानसभा सत्र शुरू होते ही 23 जनवरी को जबरदस्त घेराव कर सकते हैं। विधानसभा के आगामी बजट सत्र से कर्मचारियों को आखरी उम्मीद है कि शायद सरकार ने उनके लिए कोई फॉर्मूला बनाया हो तो उसकी घोषणा हो जाए।