सीकर ब्यूरो रिपोर्ट।
सीकर के शहीद के नाम जम्मू-कश्मीर के के सोपोर में ऑडिटोरियम बनाया गया है। इस ऑडिटोरियम में यूनिट के शहीदों और पुरस्कृत जवानों के फोटो भी लगाए गए हैं। सेना की ओर से शहीदों के सम्मान में इस तरह की पहल की जाती है। वहीं शहादत के समय सरकार ने शहीद के नाम स्कूल नामकरण का वादा किया था। लेकिन अब तक पूरा नहीं हुआ है। शहीद को साल 2022 में गणतंत्र दिवस पर भी वीरता पुलिस पदक से भी नवाजा गया था।
शहीद दीपचंद वर्मा खंडेला इलाके के बावड़ी गांव के रहने वाले थे। वे साल 2003 में सीआरपीएफ की 179 बटालियन में कॉन्स्टेबल की पोस्ट पर सिलेक्ट हुए थे। दीपचंद वर्मा की पोस्टिंग अजमेर, जम्मू सहित कई जगह रही थी। साल 2019 में उनका प्रमोशन हैड कॉन्स्टेबल के पद पर हुआ था। इसके बाद उन्हें पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में मिली। 1 जुलाई को सोपोर इलाके में आतंकियों से लड़ते हुए वह शहीद हो गए।
शहीद के दीपचंद के एक बेटी कुसुम और दो बेटे विनय और विनीत हैं। फिलहाल सभी अजमेर के केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं। दीपचंद की पत्नी भी बच्चों के साथ अजमेर में ही सीआरपीएफ के क्वार्टर में रहती है।
माता - पिता ने मजदूरी कर पढ़ाया था
सीकर के खंडेला इलाके के बावड़ी गांव में दीपचंद वर्मा नाथूराम और प्रभाती देवी के घर जन्मे थे। नाथूराम और प्रभाती दोनों ही मजदूरी करने का काम करते थे। दीपचंद वर्मा 7 भाई - बहन हैं। दीपचंद का जन्म 10 नवंबर 1981 को हुआ। दीपचंद बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे।
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