नागौर ब्यूरो रिपोर्ट।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ओटीएस में अपने मंत्रियों के कार्यों की समीक्षा के लिए दो दिवसीय चिंतन शिविर कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट के समर्थक वन मंत्री हेमाराम चौधरी चिंतन शिविर में शामिल होने की वजह वे परबतसर में आयोजित किसान सम्मेलन में जाकर अपनी सरकार को आड़े हाथ लेते हैं। सीएम गहलोत इस बात से चिंतित हैं कि कैबिनेट का मंत्री समीक्षा बैठक में आने की वजह खुले रूप से बगावत करने को उतर जाए और यह सलाह दें कि अब युवाओं को नेतृत्व देने का मौका आ गया है। ऐसे में इज्जत से उन्हें सत्ता सौंपी जाए। नहीं तो युवा धक्के मार कर हमें शासन से बाहर कर देगा। अब यह नई रणनीति निश्चित तौर पर सीएम गहलोत के लिए चिंता का विषय है। सीएम गहलोत मंगलवार को दूसरे दिन भी मंत्रियों के कार्यों की समीक्षा कर रहे है। हेमाराम चौधरी को पता है कि सीएम की समीक्षा बैठक पर जाने से कुछ होने वाला नहीं है मंत्री पद तो सचिन पायलट की मेहरबानी से मिला है। ऐसे में सीएम के चिंतन शिविर में जाने का क्या फायदा और उन्होंने खुली बगावत करने का  एलान कर दिया।चिंतन शिविर में आखिर प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा को क्यों नहीं बुलाया गया इस पर भी सवाल उठने लगे हैं कि सीएम गहलोत की समीक्षा बैठक का कोई मायना है या नहीं ।अब चाहे कोई कुछ भी कहे लेकिन वन मंत्री हेमाराम चौधरी ने परबतसर के किसान सम्मेलन में खुले रूप से कहा कि पांच साल तक सचिन पायलट ने संघर्ष किया, सब लोगों ने साथ दिया तो 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई लेकिन इसके बाद जो हालात बने वह आपके सामने हैं। आज सचिन पायलट केवल विधायक हैं, उनके पास न संगठन में और न सत्ता में कोई पद है। इसके बावजूद इतना हुजूम उन्हें सुनने आया, वह इस बात को दर्शाता है कि जनता का असीम प्यार उनके साथ है। वन मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि राजनीति कभी सेवा का माध्यम थी, लेकिन अब राजनीति सेवा का माध्यम नहीं होकर पूरी तरह व्यावसाय का रूप धारण कर रही है। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। मैं 1973 से राजनीति में हूं, 1980 में पहला ​चुनाव लड़ा। मुझे 50 साल राजनीति में हो गए और मेरी उम्र 75 साल हो गई, फिर भी मैं राजनीति के लिए डटा रहूं , दूसरों को मौका नहीं दूं तो यह कैसे उचित है। वन मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि आज बिजली की क्या हालत है, बिजली की हालत खराब है। हम सत्ता में हैं, इसलिए कह नहीं सकते। राजस्थान में बिजली के हालात क्या हैं ? जब बिजली देनी ही नहीं थी तो पहले बता देते, किसान बुवाई ही नहीं करते। वन मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि किसान, मजदूर और युवाओं की बात सुननी होगी। केवल पैसे वालों की सुनने से काम नहीं चलेगा। केवल पैसे वालों की सुनी तो जनता बख्शेगी नहीं। मेरी 75 साल की उम्र हो गई, मैंने सचिन पायलट जैसा संघर्षशील नेता नहीं देखा।