झुंझुनूं ब्यूरो रिपोर्ट।
पेपर लीक मामले में नेताओं और अधिकारियों को क्लीन चिट देने के सीएम अशोक गहलोत के बयान पर  सचिन पायलट ने कहा कि जब बार-बार पेपर लीक होते हैं तो हमें दुख होता है। इसके लिए जिम्मेदारी तय करके कार्रवाई करनी होगी। अब कहा जा रहा है कि कोई नेता और अधिकारी जिम्मेदार नहीं है। पेपर तिजोरी में बंद होता है। तिजोरी में बंद पेपर बाहर बच्चों तक कैसे पहुंच गया। उन्होंने सीएम गहलोत पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह तो जादूगरी हो गई। उन्होंने कहा कि ऐसा संभव नहीं है कि कोई अधिकारी जिम्मेदार नहीं है। कोई न कोई तो जिम्मेदार होगा। पायलट ने झुंझुनूं जिले के गुढ़ा में किसान सम्मेलन में बोलते हुए सीएम गहलोत की कार्यप्रणाली पर सीधे तौर पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनकी सरकार के शासनकाल में आखिर अधिकारियों को बड़े पैमाने पर राजनीतिक नियुक्तियां क्यों और कैसे दी जाती है यह हम सबके लिए एक सवाल खड़ा करता है। पायलट ने कहा कि सीएम गहलोत ने व्यापक पैमाने पर अधिकारियों को राजनीतिक योग्य दी है उन्होंने कहा कि सरकार बनाने में जिन कार्यकर्ताओं और नेताओं का खून पसीना लगता है उसके अनुपात में उन्हें नियुक्ति नहीं मिले और अधिकारियों को इसका लाभ मिले उन्होंने कहा कि यह गलत तरीके को सुधारना ही होगा। सचिन पायलट ने कहा कि प्रदेश में बहुत से ऊंचे अधिकारी हैं, जो अधिकारी हमारी सरकार में काम करते हैं। उन्हें यह फर्क नहीं पड़ता कि कि राज कांग्रेस का है या भाजपा का है। उन्होंने कहा कि अधिकारी तो राज की नौकरी करते हैं। बड़े अधिकारियों को भी हमें राज में मौका देना हो तो दीजिए, लेकिन अनुपात बेहतर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का कार्यकर्ता चाहे मेरा समर्थक हो या किसी और का हो, उसे कोई राजनीतिक नियुक्तियों में पद दें तो उसका हम सब स्वागत करेंगे। बड़े-बड़े अधिकारी शाम को 5 बजे  सेवानिवृत्त होते हैं और रात को 12 बजे उनकी नियुक्ति हो जाती है।थोड़ा-बहुत तो होता है, लेकिन अधिकारियों की जगह कांग्रेस के कार्यकर्ता को पद मिलते तो अच्छा होता। हमें तो उसको ठीक करना होगा। पायलट ने कहा कि वर्ष 2013 में हमारे 21 विधायक रह गए थे। केवल दो मंत्री जीते थे। बाकी पूरी कैबिनेट हार गई थी। उन विपरीत हालात में कांग्रेस हाईकमान ने मुझे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बनाकर भेजा। उस वक्त मैं केंद्र में मंत्री था। लोगों ने तब कहा था कि यह फायदे का सौदा नहीं है। वहां तो कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। मैंने सब कुछ छोड़कर कार्यकताओं और नेताओं को जोड़ने, इकट्ठा करने की कोशिश की और फिर हमने सरकार बनाई।