जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज चिश्ती ने कहा कि नारी आदिशक्ति और देवी का प्रतिरूप है, इनकी सुरक्षा समाज और हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। राज्य महिला आयोग इसके लिए प्रतिबद्ध है और प्रदेश में कहीं भी कार्यस्थल पर असमान्य व्यवहार या कोताही कतई बर्दाश्त नहीं करेगा । राज्य महिला आयोग अध्यक्ष रेहाना रियाज़ चिश्ती ने दो दिवसीय सुनवाई सत्र में 20 से अधिक वादों की सुनवाई कर परिवादियों को राहत दी है। सुनवाई के दौरान एक मामले में छात्राओं को छात्रावास में रहने का हक़ दिलाकर उन्हें आपसी सौहार्द के साथ रहने और आगे बढ़ने के लिये प्रेरित किया। एक अन्य मामले में पति-पत्नी की सुलह समझाइश कर साथ साथ रह कर घर बसाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने दहेज, मानसिक एवं शारीरिक उत्पीड़न के मामलों में कठोर कार्यवाही करते हुए संबंधित विभागाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।आयोग अध्यक्ष ने सुनवाई सत्र में कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने, उन्हें भयमुक्त होकर कार्य करने के लिए अभिप्रेरित किया। एक अतिरिक्त वाद में सुनवाई करते हुए आयोग अध्यक्ष ने असिस्टेंट प्रोफेसर द्वारा आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई कार्यस्थल पर शोषण की परिवेदना पर सम्बंधित कार्मिक डीन के कृत्य एवं जवाबों पर असंतोष व्यक्त करते हुए कड़ी नाराजगी और चिन्ता जाहिर की। उन्होंने कठोर कार्रवाई करते हुए इस मामले को गंभीरता से लिया और डीन से लिखित माफीनामा प्रस्तुत कर भविष्य के लिये हिदायत दी। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि महाविद्यालय में सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रहे और ऐसी घटनाओं की पुनरावर्ति कदापि न हो। आयोग अध्यक्ष रेहाना चिश्ती ने कहा कि महिलाएं समाज के विकास और राष्ट्र निर्माण में एक महत्ती भूमिका का निर्वहन करती है इसलिये आधी आबादी को भी बराबरी के दर्जे का बराबर हक है। सुनवाई के दौरान आयोग की सदस्य सुमन यादव एवं सम्बंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।