जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए सचिन पायलट फिर से बुधवार को पंजाब के फतेहगढ़ साहब पहुंच गए। उन्होंने राहुल गांधी से प्रदेश के राजनीतिक हालात के बारे में गुप्तगू की। राहुल गांधी की ओर से क्या आश्वासन मिला यह तो अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है लेकिन इस मुलाकात का निश्चित तौर पर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज है। प्रदेश में 35 नए जिलाध्यक्ष नियुक्त होने है इन नियुक्तियों में सचिन पायलट ने अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया तो निश्चित तौर पर आने वाले समय में बदलाव की स्थिति आ सकती है।  फिलहाल 235 ब्लॉक अध्यक्ष बने हैं और शेष बनना बाकी है इसके बाद प्रदेश में और पदाधिकारी बनेंगे। यही नहीं प्रदेश अध्यक्ष का फैसला भी होना अभी बाकी है। राजनीतिक हालात इस प्रकार के रहने वाले हैं इस पर अभी इंतजार करने की जरूरत है। राहुल गांधी की मुलाकात के बाद से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके समर्थित गुट के नेताओं में भी सक्रियता पहले से बढ़ गई है। निर्णय जो कुछ भी हो लेकिन राजस्थान की राजनीति में एक नया बदलाव आने के संकेत मिल रहे हैं। राहुल गांधी के निर्णय का सभी को बेसब्री से इंतजार है कि क्या कुछ प्रदेश की गतिविधियों में परिवर्तन आएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रहे तो निश्चित ही मंत्रिमंडल में व्यापक बदलाव होगा। मलमास के बाद क्या कुछ स्थिति बनने वाली है यह कहना अभी मुश्किल है। सीएम गहलोत ने अपने मंत्रियों को फील्ड में जाने के निर्देश दिए हैं। चिंतन शिविर के बाद मंत्री प्रदेश में जाकर राजनीतिक हालात के बारे में जानकारी लेकर सीएम को अवगत कराएंगे उसके बाद विधानसभा का सत्र भी शुरू होगा। प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा को धर्मेंद्र राठौर से मुख्यमंत्री निवास पर मिलवाया गया। उनसे क्या कुछ चर्चा हुई इसका खुलासा भी हुआ नहीं है यह बात भी सही है कि सीएम गहलोत किसी भी कीमत पर प्रभारी रंधावा को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुट गए हैं। सीएम गहलोत ने विभिन्न समाजों के प्रतिनिधिमंडल को बुलाकर मुलाकात का सिलसिला भी शुरू कर रखा है। जिससे कि प्रभारी को लगे कि वह सभी समाज में लोकप्रिय और वर्चस्व वाले नेता है। दूसरी ओर अब सचिन पायलट ने विधानसभा सत्र से पहले मारवाड़ और शेखावाटी में किसान सम्मेलन करने रणनीति तैयार की हैं। इसके लिए पायलट समर्थक मंत्री और विधायक किसान सम्मेलनों की तैयारियों में जुट गए हैं। 16 जनवरी को नागौर जिले के परतबसर में किसान सम्मेलन से पायलट शक्ति प्रदर्शन की शुरुआत कर रहे है। इसके बाद 18 जनवरी को झुंझुनूं जिले के गुढ़ा क्षेत्र में पायलट की सभा रखी गई है। इसके बाद मारवाड़ और नहरी क्षेत्र में भी पायलट की सभाओं और किसान सभाओं के कार्यक्रम बन रहे हैं। पायलट समर्थक नेताओं ने प्रदेशभर में तैयारियां शुरू कर दी हैं।पायलट समर्थक नेता और कार्यकर्ता अब प्रदेश के पश्चिमी जिलों में भी पायलट के कार्यक्रम बनाए जाने की तैयारियां की जा रही हैं। विधानसभा के बजट सत्र के बीच पड़ने वाली छुट्टियों में भी पायलट की जनसभा करने की रणनीति तैयार की जा रही हैं। सचिन पायलट गुट की मांगें अब तक पूरी नहीं हो पाई हैं। ऐसे में  प्रदेश में इसे पायलट का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। पायलट समर्थक नेता चुनाव से पहले प्रदेश में सक्रियता और जनाधार दिखाना चाहते हैं। इसी रणनीति के तहत उनकी सभाएं और  उनमें अपार भीड़ जुटाने की तैयारियां जोर शोर से की जा रही हैं।ऐसा करने से प्रदेश में उनके पक्ष में माहौल बनेगा और हाईकमान तक यह संदेश जाएगा कि सचिन पायलट में दमखम है।सचिन पायलट समर्थकों ने अंदरखाने पायलट को सीएम बनाने की मांग फिर से उठाना शुरू कर दिया है। इसी रणनीति के तहत फिलहाल पायलट समर्थक बयानबाजी नहीं कर रहे है। उधर गहलोत गुट इस मांग को मानने को तैयार नहीं है। सीएम गहलोत बजट पेश करने की तैयारी कर रहे हैं, सीएम गहलोत इशारों में कई बार यह जता चुके हैं कि जगह खाली नहीं करेंगे। अब इस मसले पर कांग्रेस हाईकमान केे इशारे का इंतजार है। अगर समय रहते हुए हाईकमान ने कोई निर्णय नहीं किया तो निश्चित तौर पर राजनीतिक क्षेत्र में अब यह मामला शांत होने के बजाय गरमाने की ओर अग्रसर होगा।