जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
जमाअते इस्लामी हिन्द राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष मुहम्मद नाज़िमुद्दीन ने राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर के 10 छात्रों को बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री फिल्म देखने के आरोप में निलंबित किये जाने की कड़ी निन्दा की है। उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक अन्य छात्र संगठन द्वारा झूठा आरोप लगाए जाने और उनके द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची के आधार पर ही उक्त छात्रों को निलम्बित कर दिया जो प्रशासन के पक्षपात पूर्ण रवैये को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रशासन द्वारा रोके जाने के बाद छात्रों ने बीबीसी की डॉक्यूमेन्ट्री ”इण्डियाः द मोदी क्वेश्चन“ की स्क्रीनिंग को स्थगित कर दिया था तथा छात्र अपने अपने मोबाइल पर ही उक्त डॉक्यूमेन्ट्री देख रहे थे, जो उनकी निजी स्वतंत्रता का मामला है। उन्होंने कहा कि अभी तक किसी भी आधिकारिक आदेश से उक्त वीडियो को प्रतिबंधित नहीं किया गया है और केवल विभिन्न इन्टरनेट माध्यमों पर उसे ब्लॉक किया गया है।नाज़िमुद्ददीन ने कहा कि निलम्बित किये गए छात्रों में से अधिकांश मुस्लिम समुदाय से हैं। इससे स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय प्रशासन साम्प्रदायिक मानसिकता से ग्रस्त है। यह भी चिंताजनक है कि इस मामले में छात्रों का पक्ष नहीं सुना गया और एकतरफ़ा तौर पर, बिना काई जाँच किये उन्हें 15 दिन के लिए विश्वविद्यालय तथा छात्रावास से निकाल दिया गया। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि एक अन्य छात्र संगठन द्वारा विश्वविद्यालय में जुलूस निकाल कर हंगामा किया गया तथा अराजकता फैलाने का प्रयास किया गया, परन्तु उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होने कहा कि यह छात्रों की निजता तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हनन का मामला है। उन्होंने मांग की कि विद्यार्थियों का निलंबन आदेश तुरंत निरस्त किया जाए तथा उन्हें विश्वविद्यालय तथा छात्रावास में अविलंब वापस लिया जाए।
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