जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने में राजस्थान पूरे देश में अग्रणी राज्य है। अनिवार्य एफआईआर पंजीकरण नीति से प्रकरणों की संख्या में जरूर वृद्धि हुई है, लेकिन अन्य राज्यों के मुकाबले पीड़ितों को त्वरित न्याय मिल रहा है। पहले पीड़ित परिवार विभिन्न कारणों से पुलिस थानों तक नहीं पहुंच पाते थे। अब वे प्रकरण दर्ज करा रहे हैं और अपराधियों को सजा मिल रही है। गहलोत ने कहा कि राजस्थान में एफआईआर के अनिवार्य पंजीकरण की नीति के बावजूद वर्ष 2021 में 2019 की तुलना में करीब 5 प्रतिशत अपराध कम दर्ज हुए हैं, जबकि मध्यप्रदेश, हरियाणा, गुजरात एवं उत्तराखंड समेत 17 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में अपराध अधिक दर्ज हुए हैं। गुजरात में अपराधों में करीब 69 प्रतिशत, हरियाणा में 24 प्रतिशत एवं मध्यप्रदेश में करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि हत्या, महिलाओं के विरुद्ध अपराध एवं अपहरण में उत्तरप्रदेश देश में सबसे आगे है। सबसे अधिक कस्टोडियल डेथ्स (हिरासत में मौत) गुजरात में हुई हैं। पॉक्सो एक्ट के मामले में मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर है, जबकि राजस्थान 12वें स्थान पर है। उन्होंने बताया कि अनिवार्य पंजीकरण नीति का ही परिणाम है कि वर्ष 2017-18 में 33 प्रतिशत एफआईआर कोर्ट के माध्यम से इस्तगासे द्वारा दर्ज होती थीं, परन्तु अब यह सिर्फ 13 प्रतिशत रह गई है। गहलोत ने कहा कि यह राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का नतीजा है कि वर्ष 2017-18 में बलात्कार के मामलों में अनुसंधान समय 274 दिन था, जो अब केवल 68 दिन रह गया है। पॉक्सो के मामलों में अनुसंधान का औसत समय वर्ष 2018 में 232 दिन था, जो अब 66 दिन रह गया है।मुख्यमंत्री ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट के करीब 51 प्रतिशत मामले अदालत के माध्यम से सीआरपीसी 156 (3) से दर्ज होते थे। अब यह महज 10 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि एफआईआर के अनिवार्य पंजीकरण की नीति का दुरुपयोग भी हुआ है एवं झूठी एफआईआर भी दर्ज करवाई गई। प्रदेश में वर्ष 2019 में महिला अपराधों की 45.28 प्रतिशत, 2020 में 44.77 प्रतिशत एवं 2021 में 45.26 प्रतिशत एफआईआर जांच में झूठी निकली। गहलोत ने कहा कि बलात्कार के प्रकरणों में राजस्थान में सजा का प्रतिशत करीब 48 हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ये मात्र 28.6 प्रतिशत है। महिला अत्याचार के प्रकरणों में राजस्थान में सजा का प्रतिशत 45.2 है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 26.5 प्रतिशत है। राज्य में महिला अत्याचार के प्रकरणों का पेंडिंग प्रतिशत 9.6 हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 31.7 प्रतिशत है। आईपीसी के प्रकरणों में राजस्थान का पेंडिंग प्रतिशत करीब 10 है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 35.1 प्रतिशत है।
एसएचओ की जवाबदेही से आए सकारात्मक परिणाम।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शराब के ठेकों को रात 8 बजे बन्द करवाने की जवाबदेही क्षेत्र के थानाधिकारी की करने के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इसके साथ ही राज्य में बार आदि का संचालन भी अर्धरात्रि के बाद नहीं होगा। भ्रष्टाचार रोकने में भी राजस्थान सबसे आगे है। राज्य सरकार की गंभीरता इसी से साफ होती है कि देश में एसीबी की सबसे अधिक कार्रवाई राजस्थान में हो रही है। पेपर लीक के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। दोषी अभ्यार्थियों को आजीवन ब्लैकलिस्ट किया गया, लिप्त संस्थाओं और व्यक्तियों की सम्पत्ति कुर्क करने का प्रावधान किया गया है। इससे पहले गृह विभाग के प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि 66 में से 57 बजट घोषणाओं की क्रियान्विति पूर्ण कर ली गई है तथा शेष प्रगतिरत हैं। साथ ही, 22 जन घोषणाओं में से 21 पूरी कर ली गई हैं तथा 1 प्रगतिरत है। 841 पुलिस थानों में स्वागत कक्ष का निर्माण कर लिया गया है। साइबर अपराध की रोकथाम के लिए सभी जिलों में साइबर पुलिस थाने स्वीकृत किए गए हैं तथा साइबर क्राइम इन्वेस्टीगेशन यूनिट की स्थापना की गई है। अपराधों की रोकथाम के लिए एसओजी की 6 नई फील्ड यूनिट तथा एक एंटी नार्कोटिक्स यूनिट की स्थापना की गई। है। खेल एवं युवा मामलात विभाग के प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि विभाग द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक जीतने पर इनामी राशि बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए तक कर दी गई है। अवनी लेखरा, कृष्णा नागर, देवेन्द्र झाझडिया एवं सुन्दर सिंह गुर्जर को टोक्यो ऑलम्पिक खेलों में पदक जीतने पर 10 करोड़ रुपए की राशि दी गई है। प्रदेश में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने के लिए विभिन्न खेलों के 500 कोच लगाए जाएंगे। प्रदेश के 229 खिलाड़ियों को आउट ऑफ टर्न नियुक्ति दी गई है।खिलाड़ियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण देने के लिए जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में हाई परफोर्मेंस ट्रेनिंग एण्ड रिहेबिलिटेशन सेंटर की स्थापना की गई है। पैरा ओलम्पिक खेलों के पदक विजेताओं को भी 25 बीघा कृषि भूमि आवंटित करने का प्रावधान किया गया है। 42 करोड़ रुपए की लागत से राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक खेलों का सफल आयोजन किया गया, जिसमें 30 लाख खिलाड़ियों ने भाग लिया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में एक नई खेल संस्कृति विकसित हुई है। मेजर ध्यानचंद स्टेडियम योजना के अंतर्गत प्रत्येक ब्लॉक में खेल स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा है। प्रदेश के युवाओं के लिए दिल्ली में कोचिंग एवं करियर काउंसलिंग हेतु उनके ठहरने की सुविधा के लिए 250 कमरों के नेहरू यूथ ट्रांजिट हॉस्टल एंड फैसिलिटेशन सेंटर बनाया जा रहा है। जोधपुर में राजस्थान स्टेट स्पोट्र्स इंस्टीट्यूट का हाल ही में शिलान्यास किया गया है। 
राइट टू सोशल सिक्योरिटी एक्ट के लिए प्रस्ताव पारित।
गहलोत ने कहा कि प्रदेशवासियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्य सरकार द्वारा लगभग 1 करोड़ लोगों को पेंशन उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, सूचना एवं खाद्य का अधिकार लागू कर सभी को सामाजिक व आर्थिक संबल प्रदान किया गया है, उसी तरह देश में एक समान सामाजिक सुरक्षा देने के लिए केन्द्र सरकार को 'राइट टू सोशल सिक्योरिटी' एक्ट लागू करना चाहिए। इसके लिए चिंतन शिविर में मंत्रीपरिषद् सदस्यों ने एकमत प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की 74 बजट घोषणाओं में से 49 घोषणाएं पूरी की जा चुकी हैं तथा 25 प्रगतिरत हैं। साथ ही, 31 जन घोषणाएं पूरी की जा चुकी हैं। सरकारी नौकरियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना संचालित की जा रही है। कोरोना महामारी के समय 33 लाख असहाय, निराश्रित एवं मजदूर परिवारों को कुल 1815 करोड़ रुपए की सहायता दी गई। विभाग द्वारा विभिन्न वर्गों के विकास के लिए 500 करोड़ रुपए का अनुसूचित जाति कोष, 100-100 करोड़ रुपए के अन्य पिछड़ा वर्ग विकास कोष, ईडब्ल्यूएस कोष, नवजीवन कोष, 50 करोड़ रुपए का डीएनटी कोष, 20 करोड़ रुपए का वाल्मिकी कोष तथा 10 करोड़ रुपए के ट्रांसजेंडर उत्थान कोष का गठन किया गया है। सिलिकोसिस रोगियों के कल्याण व आर्थिक सहायता के लिए सिलिकोसिस नीति जारी की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला एवं बाल विकास क्षेत्र में राज्य सरकार कोई कमी नहीं रख रही है। महिलाओं एवं बालिकाओं के स्वास्थ्य व स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन वितरण एवं जागरूकता हेतु उडान योजना लागू की गई है। आगे भी नवीन योजनाएं लागू की जाएंगी।महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि अधिकांश घोषणाएं पूरी कर ली गई हैं। उड़ान योजना में 1.51 करोड़ महिलाओं-किशोरियों को सेनेटरी नैपकिन वितरित किए जा रहे हैं। विभाग द्वारा संचालित इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना से अब तक लगभग 50 हजार से अधिक महिलाओं को लाभान्वित किया जा चुका है। महिलाओं एवं बालिकाओं के समग्र कल्याण के लिए राजस्थान राज्य महिला नीति 2021 जारी की गई है। साथ ही, बच्चों में नशे की प्रवृत्ति को रोकने के लिए पुनर्वास केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। विभाग के उत्कृष्ट 'कार्यों के चलते प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख एवं शिक्षा के अंतर्गत कोविड काल में ऑनलाइन शिक्षा में 2021 में स्कॉच सिल्वर अवार्ड तथा इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना के अंतर्गत पेपरलैस योजना के क्रियान्वयन के लिए 2022 में स्कॉच सिल्वर अवार्ड हासिल किया है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि प्रदेश में उचित मूल्य की दुकानों के जरिए पारदर्शिता से राशन उपलब्ध करा रहे हैं। नए नाम भी सूची में जोड़े गए हैं।