चित्तौड़गढ़-गोपाल चतुर्वेदी।
चित्तौड़गढ़ में सरकार और जिला कलेक्टर के आदेशों को दरकिनार करते हुए सेंथी क्षेत्र मे संचालित हो रहे भाजपा जिलाध्यक्ष गौतम दक के एक निजी विद्यालय सीकर एकेडमी के संचालक अपनी राजनैतिक रसूख के दम पर मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे और जिला कलेक्टर के आदेशानुसार 10 जनवरी तक अवकाश घोषित करने बावजूद कक्षा 1 से 8 तक कक्षाओं का संचालन अपने ही मनमाने ढंग से कर रहा है। और कड़ाके की सर्दी में छोटे छोटे बच्चों को विद्यालय आने पर मजबूर कर रहा है। 
इसकी जानकारी प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को होने के बावजूद उनकी ओर से इस रसूखदार विद्यालय संचालक विद्यालय के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही। जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय के उपनगरीय क्षेत्र सेंथी में संचालित हो रहा है। भाजपा जिलाध्यक्ष गौतम दक के सीकर एकेडमी नामक स्कूल की ओर से अपने ही नियम स्कूल संचालन के लिए बनाए गए हैं। जिस पर सरकार और जिला कलेक्टर के आदेश भी कहीं फिट नहीं बैठ रहे। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण आज यहां पर देखने को मिला है। जिसमें जिला कलेक्टर ने कड़ाके की सर्दी को देखते हुए 10 जनवरी तक कक्षा एक से आठवीं तक के सभी विद्यालयों को बंद करने का आदेश जारी किया था। लेकिन भाजपा जिलाध्यक्ष के इस स्कूल में जिला कलेक्टर के आदेश को दरकिनार करते हुए कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को स्कूल बुलाते हुए कक्षाओं का संचालन भी किया। जब राज-काज न्यूज सूचना पर विद्यालय पहुंचा तो वहां पर कमरा नंबर 30 से लेकर के कुछ और कमरों में कक्षा छह से आठवीं तक के बच्चों को अध्ययन कराया जा रहा था। जब उन बच्चों से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें यहां पर जबरदस्ती से शिक्षण कार्य के लिए बुलाया गया है। जबकि जिला कलेक्टर के आदेश थे कि 10 जनवरी के बाद विद्यालय आना है। वही कुछ बच्चों ने बताया कि कड़ाके की सर्दी में कक्षाओं में बैठना भी दुश्वार हो रहा है। विद्यालय संचालकों ने कुछ बच्चों को बरामदे में ठंडी हवा के बीच बिठाया हुआ था। विद्यालय के प्रिंसिपल ने बताया कि हमने किसी भी बच्चे को कक्षा में नहीं बिठाया हुआ है। सिर्फ उन्हें लंच के लिए यहां पर बुलाया था। जानकारी में सामने आया है कि पहले से इस विद्यालय में बच्चो के लिए हिटलर का कानून चला चलाया जा रहा है और कोरोना काल मे भी बच्चों को अवकाश होने के बाद भी जबरदस्ती और मनमाने तरीके से बच्चों बुलाया गया था और अब अवकाश घोषित होने के बाद भी बच्चों को ठिठुरन भरी सर्दी में बैठने पर मजबूर किया जा रहा है। अब देखना यह है कि प्रशासन के आला अधिकारी और शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी इससे रुतबे वाले विद्यालय संचालको के खिलाफ किस तरह से कार्रवाई करते हैं या फिर प्रशासन की हठधर्मिता के बीच बच्चों को कड़ाके की सर्दी के बीच पढ़ाई करने पर मजबूर किया जाता रहेगा।