जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
निदेशालय महिला अधिकारिता द्वारा यूएनएफपीए के सहयोग से जयपुर स्थित एक होटल में मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें प्रिन्ट, रेडिओ-इलक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास सचिव दिनेश कुमार यादव ने महिलाओ से संबंधित अधिकारों पर जोर देते हुए कहा कि सदियों से चले आ रहे जेंडर आधारित मानदंडों के कारण महिलाओं को अपने अधिकारों से वंचित रहना पड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत में आजादी के समय से ही लैंगिक समानता को महत्व दिया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही महिलाओं को पुरुषों के साथ बराबरी से मतदान का अधिकार दिया गया। जबकि कई लोकतांत्रिक देशों को ऐसा करने में बहुत समय लगा। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता को मीडिया प्रमुखता से आगे बढ़ाएगा तो निश्चित रूप से समाज में परिवर्तन होगा और लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि समाज को दिशा देने में मीडिया सशक्त है। लैंगिक समानता को स्थापित करने में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकता है। कार्यशाला में आयुक्त महिला अधिकारिता पुष्पा सत्यानी ने अपने संबोधन में समाज में जेंडर इक्वलिटी के लिए महिलाओं की जागरूकता के साथ ही पुरुषों की जागरूकता और उसको व्यवहारिकता में उपयोग करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें संस्कारों में ही इस विचार को बढ़ावा देना होगा कि महिला और पुरुष दोनों में कोई भेद नहीं है।इस अवसर पर निदेशक, महिला एंव बाल विकास सेवाए रामावतार मीणा ने जेंडर इक्वलिटी को बढ़ावा देने के लिए मीडिया का आवाहन किया।यूएनएफपीए स्टेट हेड दीपेश गुप्ता ने जेंडर समानता लाने में मीडिया के महत्व को उजागर करते हुए कहा की बीजिंग प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन में वुमन एण्ड मीडिया को 12 क्रिटिकल एरिया मे से एक माना गया है । उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के द्वारा वर्ष 2019 में घोषित 17 सस्टेनेबल गोल में से जेंडर इक्वलिटी पांचवा गोल है। इस विषय पर मीडिया के द्वारा सकारात्मकता के साथ कार्य किया जाना अपेक्षित है।अतिरिक्त निदेशक जनसम्पर्क, पुलिस मुख्यालय गोविंद पारीक ने अपने संबोधन में महिलाओं पर होने वाली हिंसा के बारे में पुलिस विभाग द्वारा जारी डाटा साझा किया। उन्होंने मीडिया में संवेदनशीलता के साथ जेंडर इक्वलिटी को बढ़ावा देने के लिए कार्य करने हेतु अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर महिला बाल विकास विभाग के जनसंपर्क अधिकारी गजाधर भरत ने अपने द्वारा रचित कविता की कुछ पंक्तियों के माध्यम से बताया कि महिला एवं पुरुष दोनों का ही किरदार महत्वपूर्ण है। उन्होंने मीडिया से आग्रह किया कि वे अपनी रिपोर्टिंग में जेंडर इक्वलिटी को एक सकारात्मक नरेटिव के रूप में आगे बढ़ाकर समाज में लिंग भेद को खत्म कर परिवर्तन ला सकते हैं। इसके साथ ही महिला सशक्तिकरण हेतु भरत ने मीडिया को राजस्थान सरकार की आई एम शक्ति उड़ान योजना एवं आईएम शक्ति उद्यम प्रोत्साहन योजना, शिक्षा सेतु योजना, मुख्यमंत्री वर्क फ्रॉम होम योजना, जागृति बैक टू वर्क योजना सहित विभिन्न योजनाओं के बारे में आमजन तक जानकारी पहुंचाने के लिए अपनी लेखनी का उपयोग करने के लिए आग्रह किया।दिल्ली से आई यूएनएफपीए की प्रोग्राम विशेषज्ञ अनुजा गुलाटी ने अपने प्रेजेंटेशन के माध्यम से विभिन्न मीडिया प्लेटफार्म पर महिलाओं से संबंधित विषयों पर विश्लेषणात्मक प्रस्तुतिकरण दिया, साथ ही उन्होंने बताया कि हम मीडिया में रहते हुए किस प्रकार जेंडर सेंसिटिविटी विषय को ध्यान में रखते हुए सामाजिक सोच को सकारात्मक दिशा दे सकते हैं।दिल्ली से आई हुई कम्यूनिकेशन एण्ड मीडिया विशेषज्ञ पिंकी प्रधान ने भी अपने प्रतुतिकरण के माध्यम से मीडिया को जेंडर इक्वालिटी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस अवसर पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रचलित विज्ञापनों को दिखा कर उनमें रचनात्मक एवं भावनात्मक एंगल होने के बावजूद भी जेंडर इक्वलिटी को मिसिंग बताया। कार्यशाला मे निदेशालय महिला अधिकारिता और यूएनएफपीए के सहयोग से महिला हिंसा रोकथाम मुद्दे पर बनाए गए पोस्टर भी लॉन्च किये गए।
0 टिप्पणियाँ