राजसमंद ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने संघर्ष को लेकर कहा कि एक तो वो समय था जब पिता के आदेश पर भगवान श्रीराम सिंहासन छोड़ कर 14 वर्ष तक वनवास चले गए। फिर दशरथ के निधन के बाद भरत को सिंहासन पर बैठाने की तैयारी हुई।लेकिन उन्होंने भी त्याग की मिसाल पेश करते हुए बड़े भाई राम की चरण पादुकाओं को सिंहासन पर रख कर शासन चलाया, लेकिन खुद सिंहासन से दूर रहे। पूर्व सीएम राजे ने कहा कि आप उस समय उन दोनो भाइयों का त्याग देखिए और आज देखिए।आज सिंहासन के लिए किस तरह संघर्ष हो रहा है।
दरअसल पूर्व सीएम राजे नाथद्वारा में आयोजित मोरारी बापू के राम कथा कार्यक्रम में बोल रही थी।उन्होंने कहा कि मदन पालीवाल के आग्रह पर शिव प्रतिमा के लिए उनकी भाजपा सरकार ने 2018 में भूमि दी। जहां आज विश्व की सबसे ऊँची शिव प्रतिमा ‘विश्वास स्वरूपम’ विराजमान है। उन्होंने राम कथा में राम राज्य का उदाहरण देते हुए कहा कि आज भी सुशासन के लिए राम राज्य को याद किया जाता है। जिसका अर्थ है सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास और सबका प्रयास। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बन रहा है। पूर्व सीएम राजे ने कहा कि सबके जीवन में बाधायें आती है,पर विश्वास के साथ यज्ञ दान और तपस्या करने से दूर हो जाती है।कार्यक्रम में महामंडलेश्वर शर्णानंद जी महाराज, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी,केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत,पूर्व मंत्री श्रीचंद कृपलानी और विप्र कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष महेश शर्मा मौजूद थे।
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