माना जाता है कि गैर संचारित रोगों ( नॉन कम्युनिकेबल ) और दीर्घकालीन प्रज्वलन ( क्रोनिक इन्फ्लेमेशन ) के बीच एक संबंध होता है। ये बीमारियां हृदय रोग, गठिया, कैंसर आदि जैसी होती हैं। भोजन हमारे शरीर में प्रज्वलन को बढ़ा या घटा सकता है। एक विशेष वर्ग के भोजन को प्रज्वलन प्रतिरोधी भोजन ( एंटी इन्फ्लेमेटरी ) भोजन माना जाता है जिसमें स्वास्थ्य वर्धक ऑक्सीडेंट ( ओक्सीकारक ) पदार्थ होते हैं जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखते हैं। यहां एक बात का ध्यान रखना है कि त्वरित प्रज्वलन ( एक्यूट इन्फ्लेमेशन ) तो एक प्राकृतिक और लाभकारी प्रक्रिया होता है बशर्ते एक हद को पार नहीं करे परंतु यह प्रतिक्रिया यदि लंबे समय तक जारी रहे तो शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध ( इंसुलिन रेसिस्टेंस ) विकसित हो जाता है, मेटाबॉलिज्म में व्यवधान पड़ने लगता है और डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, कैंसर, गठिया , अल्जाइमर रोग जैसे कितने ही विकार पैदा होने लगते हैं।
सामान्य बेहतर भोजन पदार्थ जड़ी बूटी और मसालेदार उत्पाद जैसे हल्दी, दालचीनी, अदरक,
लहसुन, मिर्ची और रोजमेरी ( गुलमहंदी) आदि होते हैं। इसके अतिरिक्त फल जैसे पपीता,
सेव, आम, चेरी और बेरी भी इसकी श्रैणी में आते हैं। गाजर, कद्दू, ज़ुच्चिनी और पत्तेवाली
सब्जियां, मटर , बीन्स, दही, मच्छी तथा पूर्ण दानेदार अनाज भी इसी समूह का हिस्सा हैं।
जो भोजन शरीर में प्रज्वलन ( इन्फ्लेमेशन ) पैदा करते हैं वे हैं अत्यधिक रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स,
चीनी मिश्रित भोजन, लाल मांस, ट्रांस एवम् सैचुरेटेड फैट्स।
अपने आप में प्रज्वलन प्रतिरोधी भोजन की कोई परिभाषा नहीं होती है पर मुख्यतया इसका
मतलब होता है प्रज्वलन पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों को कम उपयोग में लेना और प्रज्वलन
रहित खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाना। आपको जानना चाहिए कि 70-80 प्रतिशत रोग प्रतिरोधी
कोशिकाएं आंतों में होती हैं इसलिए भोजन यदि आंतों के अनुकूल होगा तो शरीर की इम्यूनिटी
मजबूत रहेगी। इसलिए बेहतर होगा कि दही, फलियां आदि का रोजाना सेवन करें और सोडा, गाढ़े
रस आदि का उपयोग कम से कम करें। जहां तक पानी का सवाल है तो सादा पर शुद्ध पानी पिएं
या ऐसे पानी में फलों के टुकड़े काट कर डालें और फिर कुछ समय बाद उसे पिएं।
इस तरह का भोजन करने से दीर्घ अवधि वाले रोग कम होते हैं, सोरायसिस, एच डी, फेफड़े
की ब्रोंकाइटिस और डिप्रेशन आदि के लक्षण काफी हद तक नियंत्रित रहते हैं। इन्फ्लेमेशन
कम होने से शारीरिक थकान कम होती है और जीवन बेहतर तरीके से जिया जाता है। यहां इस
बात को भी ध्यान में रखना होगा कि उद्देश्य तभी पूरा होगा जब इस सब को मिला कर एक संतुलित
मात्रा में उपयोग लिया जायेगा।
याद रखिए प्रज्वलन प्रतिरोधी भोजन किसी रोग का उपचार नहीं करता है। यह शरीर के सामान्य
स्वास्थ्य को बेहतर रख कर अंगों को लंबे समय तक क्रियाशील रखता है इसलिए जीवन को ज्यादा
समय तक जिया जा सकता है। भोजन के साथ साथ गहरी अच्छी नींद, कामनाओं वासनाओं पर नियंत्रण,
तनाव से बचाव और नियमित रूप से हल्की फुल्की कसरत करनी पड़ेगी। आप शरीर की देखभाल करो,
शरीर आप को लंबी उम्र प्रदान कर सकता है।
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