जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
उदयपुर रेलवे ब्रिज पर ब्लास्ट करने के मामले में एटीएस ने खुलासा करते हुए  बताया कि रेलवे ट्रैक के लिए जमीन अधिग्रहण का मुआवजा कम मिलने के कारण यह साजिश रची गई थी। इस मामले में एक नाबालिग सहित 4 लोगों को हिरासत में लिया है।एटीएस-एसओजी एडीजी अशोक राठौड़ ने जयपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि धूलचंद मीणा, प्रकाश मीणा और एक 17 साल के लड़के को पकड़ा है। तीनों उदयपुर के जावर माइंस के एकलिंगपुरा के रहने वाले हैं।विस्फोटक बेचने वाले अंकुश सुवालका को भी हिरासत में लिया है। अंकुश के पिता बिहारीलाल सुवालका की विस्फोटक बेचने की दुकान है। अभी तक की पूछताछ में आरोपियों ने कहा है कि उनका उद्देश्य जनहानि का नहीं था। डूंगरपुर में मिली जिलेटिन की छड़ का इस घटना से कोई कनेक्शन नहीं है। एडीजी राठौड़ ने कहां कि आरोपियों ने ट्रेन निकलने के बाद विस्फोटक लगाया था। इससे साफ होता है कि जनहानि की मंशा नहीं थी। विस्फोटक लगाने के बाद तीनों बाइक से निकल गए थे। ब्लास्ट के लिए विस्फोटक धोलकी पाटी इलाके में अंकुश सुवालका से लिया गया था। सिर्फ सरकारी सिस्टम का ध्यान आकर्षित करने के लिए साजिश रची गई थी। एडीजी राठौड़ ने कहां कि मुख्य आरोपी धूलचंद हिंदुस्तान जिंक में पहले काम कर चुका है। ब्लास्टिंग के बारे में उसे थोड़ी-बहुत पहले से ही जानकारी थी। उसने अपने गांव के ही रहने वाले चचेरे भाइयों को इस योजना में शामिल किया। उसने दोनों भाइयों से कहा था कि हल्का नुकसान होगा। इसलिए दोनों इसकी बातों में आ गए।उन्होंने कहा कि वर्ष 1974-75 और 1980 में धूलचंद मीणा की जमीन रेलवे और हिंदुस्तान जिंक ने अधिग्रहित की थी। इसके बाद उसको मुआवजा या नौकरी नहीं मिली है। इसके लिए यह लगातार कई साल से प्रयास कर रहा था। जब कोई मदद नहीं मिली तो गुस्से में ट्रैक उड़ाने की योजना बनाई।