जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय विश्व सूफी संगीत समारोह जहान ए खुसरो का भव्यता के साथ समापन हुआ। समारोह की शुरुआत मुजफ्फर अली कृत हुमा-द सेलेश्चल बर्ड अर्थात स्वर्ण पक्षी की कहानी से हुई। हुमा के किरदार को शिंजनी कुलकर्णी ने अपनी शानदार प्रस्तुति से जीवंत कर दिया। पौराणिक पक्षी पर आधारित इस बैले नृत्य के माध्यम से असफलता और सफलता के पथ को दिखाया गया।
इसमें व्यक्ति को कैसे अहंकार विनाश की ओर ले जाता है और जब जीवन चरम पर होता है तो कैसे विनम्र होना चाहिए, को दर्शाया गया। इसका संगीत मुजफ्फर अली की ओर से रचित था तथा जसलीन कौर मोंगिया और शाहिद नियाज़ी की ओर से इसे प्रस्तुत किया गया। दो दिवसीय इस संगीत समारोह में एक से बढ़कर एक अद्भुत और अविस्मरणीय प्रस्तुतियों में संस्कृति की जीवंतता उत्सव की एक माला बनकर मंच पर उतरी। सुर, लय और ताल के भव्य आयोजन में उल्लास भरा रहा।कलाकारों की प्रस्तुतियों के साथ लाइट्स के फ्यूजन में सूफी संगीत, प्रेम, के साथ कई भाव नजर आयें। हर प्रस्तुति में राजस्थानी संस्कृति की झलक भी दिखाई दी।लोकप्रिय संगीतकार नूरान सिस्टर्स द्वारा सदा ए सूफी की शानदार प्रस्तुति से सर्द गुलाबी नगर में माहौल सूफियाना बन गया। नूरान सिस्टर्स ने विभिन्न संगीतमय प्रस्तुतियों से महफिल में समा बांध दिया। उन्होंने अपनी प्रस्तुतियों पर दर्शकों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। कार्यक्रम में पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़, निदेशक डॉ. रश्मि शर्मा, आरटीडीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर वी.पी. सिंह, पर्यटन विभाग के अतिरिक्त निदेशक मो. सलीम खान सहित अन्य उच्च अधिकारी और गणमान्य भी मौजूद रहे।
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