हनुमानगढ़-विश्वास कुमार।
हनुमानगढ़ कि नई जिला कलेक्टर रुक्मणि रियार ने आज पदभार ग्रहण किया एंव पत्रकारों के मुख़ातिब हुई उससे पहले जिला कलेक्टर ने कलेक्ट्रेट में विभिन्न कार्यालयों व शाखाओं का निरीक्षण किया तो वही  Adm प्रतिभा देवठिया और जिला परिषद सीईओ अशोक असीजा, स्वास्थ्य विभाग के CMHO नवनीत शर्मा व अन्य अधिकारिओ और राजनीतिक पार्टिओ के नेताओं ने रियार का पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया।
सरकारी योजनाओं का जन-जन तक  पहुंचे लाभ।
पत्रकारों से रूबरू होते हुए जिला कलक्टर ने अपनी प्राथमिकतायें बताते हुए कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ लाभार्थियों को मिले उनकी प्राथमिकता मे रहेगा। साथ ही क़ृषि प्रधान क्षेत्र होने कि वजह से किसानों को तय समय पर पूरा पानी मिले इसके लिए स्काड़ा सिस्टम लागू करने का प्रयास किया जायेगा। पत्रकारों ने जिले मे दिन प्रतिदिन फैल रहे नशे पर लगाम लगाने, जिले मे पर्यटन कि संभावनाओं के चलते सिंधु सभ्यता से जुड़े कालीबंगा,भटनेर दुर्ग आदि के विकास व उनको पर्यटन स्थल बनाने, पंजाब से नहरों के जरिये आ रहे दूषित पानी पर रोक,जिला कलक्ट्रेट मे आने वाली खासकर महिलायों के लिए शौचालय व पीने के पानी कि व्यवस्था, ख़ासकर जिले मे चल रहे नशा मुक्ति केद्रों मे हो रही वारदातो पर लगाम लगाने आदि के सवाल पर जिला कलक्टर ने कहा कि इन समस्याओं के समाधान के भी प्रयास किये जायेंगे। साथ ही रियार ने कहा कि श्रीगंगानगर रहते हुए उन्होंने आंगनबाड़ी मॉडल पर कार्य किया था।इसके लिए भी हनुमानगढ़ मे प्रयास किये जायेंगे। पत्रकार वार्ता मे जिला कलक्टर के साथ PRO सुरेश बिश्नोई भी साथ रहे।
छठी में हुई फेल और फिर बन गई आईएएस।
देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विस परीक्षा है। इस परीक्षा में हर साल सैकड़ों अभ्यर्थी पास होते हैं। परीक्षा में शामिल होने और सफलता के लिए अभ्यर्थी सालों पढ़ाई करते हैं। ऐसे में अगर इस परीक्षा में बिना कोचिंग के कोई पहले ही प्रयास में सफल हो जाए, वह भी अखिल भारतीय स्तर पर दूसरी रैंक के साथ,तो इसे महिला की बुद्धिमता माना जा सकता है। लेकिन अगर इस उपलब्धि को हासिल करने वाली आईएएस महिला स्कूल के दिनों में परीक्षा में फेल हुई हो तो इसे महिला के बुलंद हौसलों और दृढ़ता का परिणाम कहेंगे। रुक्मिणी रियार ने बिना कोचिंग के यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी की और पहली ही प्रयास में सफलता प्राप्त कर ली। 

कौन हैं आईएएस रुक्मिणी रियार।
आईएएस अफसर रुक्मिणी रियार पंजाब के गुरदासपुर की रहने वाली हैं। यूपीएससी परीक्षा 2011 में रुक्मिणी रियार ने ऑल इंडिया लेवल पर दूसरी रैंक हासिल की थी। रुक्मिणी रियार ने बिना किसी कोचिंग के पहले प्रयास में परीक्षा पास की।

रुक्मिणी रियार की शिक्षा।
गुरदासपुर की रुक्मिणी रियार की शुरुआती शिक्षा उनके गृह जनपद से ही हुई। बाद में चौथी क्लास में उनका दाखिला डलहौजी के सेक्रेड हार्ट स्कूल में करा दिया गया जो कि एक बोर्डिंग स्कूल है। रुक्मिणी बचपन में पढ़ाई में होनहार नहीं थीं। इसीलिए परिवार ने उन्हें बोर्डिंग स्कूल भेज दिया। हालांकि पढ़ाई के दौरान जब रुक्मिणी 6वी क्लास में थी तो वह फेल भी हो गईं थीं।

फेल होने से रही थी काफ़ी परेशान।
रुक्मिणी क्लास में फेल होने के बाद काफ़ी परेशान रहने लग गई थी। कई महीनों तक परेशान रहने के बाद उन्होंने दृढ़ निश्चय कर लिया कि अपनी असफलता से ही प्रेरणा लेते हुए होनहार छात्रा बनकर दिखाएंगी।
इसके बाद रुक्मिणी कभी फेल नहीं हुई । उन्होंने 12वीं की परीक्षा पास की और बाद में अमृतसर के गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। यहां से रुक्मिणी ने सोशल साइंस में  स्नातक की डिग्री हासिल की। उसके बाद मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट से सामाजिक विज्ञान में परास्नातक किया। साथ ही गोल्ड मेडलिस्ट भी बनीं।
रुक्मिणी रियार आईएएस क्यों बनना चाहती थीं।
मास्टर्स करने के बाद रुक्मिणी रियार ने योजना आयोग में काम किया। मैसूर में अशोदया और मुंबई में अन्नपूर्णा महिला मंडल आदि गैर सरकारी संगठनों में इंटर्नशिप की। रुक्मिणी ने दिल्ली के सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज संग मिलकर बस्तियों को बेहतर बनाने की दिशा में भी काम किया। समाज के लिए काम करने के दौरान रुक्मिणी ने आईएएस बनने का सपना देखना शुरु कर दिया ताकि वह प्रशासनिक सेवा में आकर समाज के लिए और काम कर सकें।
रुक्मिणी ने कैसे की यूपीएससी की तैयारी?
रुक्मिणी रियार ने आईएएस की तैयारी शुरु कर दी। बिना कोचिंग ही रुक्मिणी ने सेल्फ स्टडी की। उन्होंने क्लास 6ठी से 12वीं तक की एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई शुरु की। इंटरव्यू के लिए रोजाना अखबार पढ़तीं। कई माॅक टेस्ट में शामिल हुईं। पिछले सालों के प्रश्न पत्र हल किए। कड़ी मेहनत और तैयारी के साथ उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी और 2011 में रुक्मिणी की अखिल भारतीय रैंक दूसरी आई।रुक्मणि रियार जिला कलेक्टर के पति सिद्धार्थ सिहाग भी आईएएस है।