चितौडग़ढ़ ब्यूरो रिपोर्ट।
राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को सशक्त और स्वावलंबी बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है। जिसमें से एक योजना है, राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद योजना। इस योजना को लागू करने का मुख्य उद्देश्य गांव की महिलाओं को गरीबी रेखा से ऊपर उठाना, क्षमता वर्धन कर सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक सहायता और तकनीकी ज्ञान भी दिया जाता है, जिससे महिलाएं लघु कार्य कर सकें। प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसी महिलाएं हैं जो राजीविका से जुड़कर आत्मनिर्भरता के साथ सफलतापूर्वक अपना जीवनयापन कर रही हैं। ऐसी ही एक कहानी हमें चित्तौड़गढ़ जिले में देखने को मिली। चित्तौड़गढ़ जिले के कजोड़ पूरा सावा गांव की जुबैदा बेगम वर्ष 2019 में राजीविका से जुड़ी। जुबैदा बताती है कि वे हमेशा से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना चाहती थी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह कुछ कर ना सकी, तभी जुबैदा को गांव की महिलाओं से राजीविका के बारे में जानकारी मिली। वह राजीविका द्वारा चलाए जा रहे दीवाना स्वयं सहायता समूह से जुड़ी और वहां से उन्होंने कुछ आय अर्जित करनी शुरू की, जिससे वह अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करती है। उन्होंने बताया की राजीविका से जुड़ना उनके लिए वरदान साबित हुआ है। जुबैदा बेगम ने बताया कि उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए राजीविका की मदद ली और सरस डेयरी बूथ खोला। वर्तमान में जुबैदा 50 से 60 लीटर दूध प्रतिदिन बेचती है। जिसमें उन्हें 150 से 200 रुपए की बचत होती है। जुबैदा यह भी बताती हैं कि उन्होंने राजीविका से एक लाख रूपए का ऋण लिया और उन ऋण लिए गए रूपयो से उन्होंने अपनी सरस डेयरी बूथ को ओर बड़ा बनाया और एक नई किराने की दुकान भी खोली, जिसमें उन्हें प्रतिदिन 600 रुपए से अधिक की बचत होती है।जुबैदा बेगम ने राजीविका को धन्यवाद कहते हुए कहा कि राजीविका से जुड़कर ना सिर्फ वह आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि सरस बूथ और किराना स्टोर खोलने से उनके परिवार के और भी सदस्यों को रोजगार का अवसर प्राप्त हुआ है। अब उनका प्रयास है कि वह समूह की बाकी महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सके।