जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
शिमला में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे के साथ मुलाकात राजनीति में अब क्या कुछ संदेश देती है ? यह कौन बताएगा। अब तक यह माना जा रहा था मलिकार्जुन खरगे निश्चित तौर पर बगावत करने वाले नेताओं के खिलाफ कोई कठोर निर्णय ले लेंगे लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है माहौल में कुछ परिवर्तन सा लग रहा है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का प्रबंधन संभालने के लिए भी सीएम गहलोत ने अब बगावत करने वाले संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, सरकारी मुख्य सचेतक और जलदाय मंत्री डॉ महेश जोशी और आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को अहम जिम्मेदारी दी है।
शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पहुंचे सीएम गहलोत ने रात्रि को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेंद्र बघेल, राजीव अरोड़ा और जुबेर खान के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे के साथ वार्ता की। इस वार्ता में क्या कुछ किसने क्या कहा यह किसी ने नहीं बताया। इसके बाद सीएम गहलोत ने मलिकार्जुन खरगे अलग बातचीत भी की है इसका ब्यौरा भी किसी को नहीं दिया गया। आने वाले समय में कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में किस-किस को लिया जाएगा और किसको नहीं लिया जाएगा इसका निर्णय होना बाकी है।मलिकार्जुन खरगे यह स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं कि उदयपुर में सोनिया गांधी ने जो संकल्प लिया है उसे हर हाल में पूरा किया जाएगा। ऐसे में 20 नवंबर तक का इंतजार किया जा रहा है कि राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के बारे में क्या कुछ निर्णय होने वाला है। इस बीच यह मुलाकात क्या कुछ नए संदेश देने का प्रयास करेगी यह तो कोई बता नहीं सकता है लेकिन यह निश्चित कहा जा सकता है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा निश्चित तौर पर राजस्थान में कुछ नया करने का संदेश जरूर देगी। सीएम गहलोत की कोशिश है कि वह किसी तरह से अपने मुख्यमंत्री काल को कायम रख सके। यह बात भी सही है कि गुजरात हिमाचल के चुनाव परिणाम के बाद निश्चित तौर पर राजस्थान की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत मिलते हैं। राजनीतिक अस्थिरता के बीच प्रदेश की अफसरशाही पूरी तरह से हावी है मंत्री नाराज है सीएम गहलोत से एसीआर लिखने का अधिकार मांग रहे हैं।
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