हनुमानगढ़ ब्यूरो रिपोर्ट।
रामलीला मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन सर्वप्रथम पार्षद सुशील खदरिया ने सपत्नीक ने श्रीमद् भागवत कथा की गणेश वंदना करके विधि विधान से शुभारंभ कराया। कथावाचक मारूतिनंदन शास्त्री महाराज (श्रीधाम वृंदावन) ने भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य महारास लीला का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान की महारास लीला इतनी दिव्य है कि स्वयं भोलेनाथ उनके बाल रूप के दर्शन करने के लिए गोकुल पहुंच गए। मथुरा गमन प्रसंग में अक्रूर जी भगवान को लेने आए। जब भगवान श्रीकृष्ण मथुरा जाने लगे समस्त ब्रज की गोपियां भगवान कृष्ण के रथ के आगे खड़ी हो गईं। कहने लगी हे कन्हैया जब आपको हमें छोड़कर ही जाना था तो हम से प्रेम क्यों किया। साथ ही गोपी उद्धव संवाद प्रस्तुत किया। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया।
इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत: ही प्राप्त हो जाती है।इस मौके पर तीनों लोकन से प्यारी हमारी राधारानी…, मुरलिया बाजे रे जमुना जी के तीर… सहित अनेक भजन प्रस्तुत किये। श्रीकृष्ण एवं रुकमणी विवाह उत्सव पर मनोहर झांकी प्रस्तुत की गई। इसके बाद पार्षद सुशील खदरिया व उनकी धर्मपत्नी ने भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी के पैर धोकर पूजा अर्चना करते हुए दान भेंट चढ़ाकर श्रीकृष्ण भगवान की मंगला आरती करके विवाह संपन्न कराया। बुधवार को श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन हवन पूजन होगा।