नेट थिएट कार्यक्रमों की श्रंखला में ज्योति कला संस्थान द्वारा सिंधी साहित्यकार लक्ष्मण बबानी की कहानी पर आधारित नाटक मां की ममता का सशक्त मंचन किया गया। कहानी का नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी सुरेश सिंधु ने किया। नेट थिएट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि एकल नाटक की प्रस्तुति में रंगकर्मी मनोज आडवाणी ने अपने भावपूर्ण अभिनय से किरदार को ऐसा जिया कि लोग वाह-वाह कर उठे मनोज ने अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ी l
एक मां के लिए उसकी ममता अपने सब बच्चों के लिए बराबर होती है। लेकिन उन बच्चों में एक बच्चा भी दिमागी रूप से बीमार हो तो मां की ममता उस बच्चे के लिए तड़प उठती है। इस एकल नाटक में दिमागी रूप से विकलांग बेटे और उसके मां के स्नेह और भाइयों की नफरत को दिखाया गया। भाई मिलकर उस विकलांग बच्चे को डॉक्टर से मिलकर उस बच्चों की लीला समाप्त कर देते हैं। मां को जब इस बात का पता चलता है। वह विलाप करती है और अपने बेटों को पूछती है और उन्हें हत्यारा मानती है, मृत बच्चे की आत्मा आकर मां को दिलासा दिलाती है की मेरे भाइयों ने जो किया मेरे हित में किया। मुझे मेरे कष्ट से मुक्ति दिलाने के लिए किया, मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है, तू भी उन्हें माफ कर दे। नाटक में प्रकाश मनोज स्वामी, वस्त्र विन्यास कविता सचदेव एवं ध्वनि प्रभाव एवं गायन नवीन पुरुषार्थी, मंच व्यवस्था अंकित शर्मा नोनू जीवितेश शर्मा, देवांग सोनी और जितेंद्र शर्मा की रही।
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