चित्तौड़गढ़-गोपाल चतुर्वेदी।
केंद्र और राज्य सरकार सरकारी कार्मिकों को अपने कार्य को सजगता और पूरी ईमानदारी के साथ करने के लिए कई बार निर्देश जारी कर चुकी है। लेकिन मोटी तनख्वाह पाने वाले इन सरकारी कर्मचारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही और सरकार के निर्देश को धत्ता बताते हुए अधिकांश विभागों के अधिकारी और कर्मचारी अपने ही तय किए हुए समय पर कार्यालय पहुंचने से बाज नहीं आ रहे। जिसके कारण आमजन के काम समय पर नहीं हो पा रहे हैं, जिसमें मुख्य रुप से बात की जाए तो चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर संचालित हो रहा है यूआईटी और रसद विभाग के हाल सबसे अधिक बेहाल दिखाई दे रहे हैं।
जिन में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी कहीं ना कहीं राजनीतिक शरण के चलते अपने आप को सर्वे सर्वा मानने लगे हैं और उच्च अधिकारियों का भी इन अधिकारियों को कोई भय नहीं है। जिसमे रसद विभाग के एक प्रवर्तन अधिकारी जो कि निंबाहेड़ा राशन डीलर के साथ मिलकर विभाग के दूसरे अधिकारियों और राशन डीलरों को डराने और धमकाने का काम भी कर रहा है।
लेकिन विभाग में कार्यरत रहे अधिकारी और कर्मचारी के साथ राशन डीलर भी डर के कारण बोल नहीं पा रहे। जानकारी के अनुसार केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सप्ताह में 5 दिन कार्य करने का समय सवेरे 9:30 से शाम 6:30 बजे तक निर्धारित किया हुआ है। लेकिन मुख्य रूप से बात की जाए तो यूआईटी और रसद विभाग के अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी तय समय से एक घंटे विलंब से अपने स्वयं के द्वारा तय किए गए समय पर कार्यालय पहुंच रहे हैं। जिसके बारे में कई बार इन अधिकारियों के खिलाफ उच्च अधिकारियों को सूचना भी दी गई है। लेकिन राजनीतिक पहुंच के चलते यह कर्मचारी और अधिकारी अपने तरीके से कार्यालय पहुंचकर इधर-उधर घूम कर समय व्यतीत करते हुए दिखाई देते हैं। वही अगर जिला कलेक्ट्रेट परिसर में संचालित हो रहे रसद विभाग की बात की जाए तो इस विभाग के अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी अपने स्वयं द्वारा तय किए गए समय 10:30 से 11:00 के बीच पर कार्यालय पहुंचते हैं। जिला मुख्यालय के गांधीनगर क्षेत्र में संचालित हो रहे यूआईटी कार्यालय के हाल और भी ज्यादा बेहाल है। जिसमें उच्च अधिकारी से लेकर अंतिम कर्मचारी तक सभी के आने का समय 10:30 के बाद ही है। वही जानकारी में सामने आया है कि यूआईटी और रसद विभाग में सबसे अधिक राजनीतिक हस्तक्षेप होने के चलते अधिकारियों और कर्मचारियों में उच्च अधिकारियों का भय लगभग समाप्त हो गया है। उसी का कारण है कि इन विभागों में अधिकारी और कर्मचारी आमजन के कार्यों को महत्व नहीं देकर के राजनेताओं के कार्यों को करने कुछ ज्यादा महत्व देते हैं।
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