जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने लेखा परीक्षा के कार्य को और बेहतर बनाने एवं इसमें अधिकाधिक पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग पर बल दिया है।राज्यपाल मिश्र स्टेच्यू सर्किल स्थित महालेखाकार कार्यालय में लेखापरीक्षा सप्ताह के उद्घाटन के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों पर व्यय होने वाले धन की निगरानी का दायित्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक अधिकारियों पर ही होता है। लेखा परीक्षा का उद्देश्य सार्वजनिक धन का प्रभावपूर्ण एवं कुशलता से संग्रहण एवं उपयोग सुनिश्चित करते हुए सुशासन को प्रोत्साहन देना और देश के विकास में अधिकाधिक योगदान देना है। 
उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए महालेखाकार कार्यालय द्वारा लेखापरीक्षा के दौरान सरकार की कमियों को रेखांकित करने के साथ ही काम-काज को और अधिक प्रभावी बनाने एवं गुणवत्ता में सुधार करने हेतु सुझाव भी दिये जाएं।राज्यपाल ने कहा कि लेखा परीक्षक राजकीय धन के समुचित उपयोग की निगरानी से जुड़े लोकतंत्र के पहरूए हैं। जनता के धन का सही मायने में समुचित उपयोग हो, यह लेखा परीक्षा द्वारा ही सुनिश्चित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता रहने पर ही समाज में समान रूप से सभी का विकास प्रभावी रूप में संभव है, इसलिए सार्वजनिक धन के संग्रहण और उपयोग की प्रभावी लेखापरीक्षा आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। राज्यपाल मिश्र ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि राज्य विधानमंडल को प्रतिवर्ष समयानुसार लेखापरीक्षा प्रतिवेदन प्रस्तुत किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यों में बढ़ते डिजिटाइजेशन को देखते हुए लेखापरीक्षा द्वारा भी अपनी प्रक्रियाओं को अद्यतन किया गया है। उन्होंने लेखापरीक्षा द्वारा “ई-वे बिल प्रणाली” का मूल्यांकन किये जाने को महत्वपूर्ण बताया। जन लेखा समिति के सभापति गुलाब चन्द कटारिया ने लेखा परीक्षा के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए लोकल ऑडिट को भी और अधिक प्रभावी बनाए जाने पर बल दिया।राजकीय उपक्रम समिति के सभापति गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को ऑडिट के बारे में प्रशिक्षित किए जाने की आवश्यकता है ताकि हर वर्ष एक ही प्रकार के लेखा आक्षेपों की पुनरावृत्ति से बचा जा सके। पंचायती राज संस्थाओं और नगरीय निकायों की समिति के सभापति डॉ. राजकुमार शर्मा ने कहा कि भ्रष्ट एवं लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों पर लगाम लगा कर विकास योजनाओं के लिए आवंटित धन का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना लेखा परीक्षा का महत्वपूर्ण कार्य है। प्रधान महालेखाकार के.सुब्रमण्यम ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि प्रधान महालेखाकार राजस्थान के कार्यालय को इसके कार्य के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार की ओर से देश में तीसरा स्थान मिला है। उन्होंने कहा कि प्रधान महालेखाकार राजस्थान कार्यालय द्वारा प्रति वर्ष 1500 से अधिक ऑडिट करवाई जाती हैं और 12 रिपोर्ट विधानसभा में रखी जाती हैं। मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कहा कि लेखा परीक्षा विधायिका एवं कार्यपालिका के बीच सेतु का कार्य करते हुए अपनी तटस्थ भूमिका का निर्वाह करता है। उन्होंने कहा कि लेखा परीक्षा से प्रशासन को कमियां दूर करते हुए पारदर्शी सुशासन सुनिश्चित करने में सहायता मिलती है। राज्यपाल ने आरम्भ में उपस्थितजन को संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन भी करवाया। कार्यक्रम में राज्य सरकार एवं भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य गणमान्य जन उपस्थित रहे।