श्रीगंगानगर-राकेश मितवा।
श्रीगंगानगर में राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित दो दिवसीय श्रीगंगानगर जिला साहित्यकार सम्मेलन का आगाज आज चितलांगिया धर्मशाला में हुआ।इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए अकादमी के अध्यक्ष डॉ दुलाराम सहारण ने कहा कि आज साहित्यकारों को अपनी मांगों को पुरजोर तरीके से सरकार के समक्ष बुलंद करना होगा तभी साहित्य के लिए अनुकूल वातावरण भी तैयार होगा ।उन्होंने कहा कि राजस्थान साहित्य अकादमी अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रतिभावान साहित्यकारों को मंच देने का कार्य करेगी।इस अवसर पर विधायक राजकुमार गौड़ ने कहा कि साहित्यकार संवेदना को लेकर चलता है ,पाठक को जब साहित्य अपना सा लगता है तब बेहतरीन साहित्य की रचना होती है । उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी संवेदनशील हैं ,जनकल्याणकारी योजनाएं इसका उदाहरण है।  परंतु ये योजनाएं पूरी तरह से गांव तक नहीं पहुंच पा रही इसके लिए प्रयास होने चाहिए।
विधायक गौड ने कहा कि हर जिले में ऐसे भवन होने चाहिए जहां सभी साहित्य अकैडमी के कार्यालय हो, मुख्यमंत्री से इस दिशा में आदमियों को मांग करनी जरूरी है। इससे पूर्व उद्घाटन सत्र में डॉ दुलाराम सहारण, वरिष्ठ कवि हरीश करमचंदानी, डॉ भरत ओला तथा विधायक राजकुमार गौड़ शामिल हुए । वही प्रथम सत्र की चर्चा के बाद दूसरे सत्र में बाल साहित्य पर चर्चा की गई। इस अवसर पर डॉक्टर कीर्ति शर्मा ने पत्र वाचन किया। बाल कथाकार गोविंद शर्मा, दीनदयाल शर्मा मीनाक्षी अहूजा आदि ने भी अपने-अपने सत्र में पत्र वाचन किए। राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ सहारण ने कहा कि साहित्य अकादमियों के अध्यक्षों को राज्यमंत्री का दर्जा नहीं देना चाहिए क्योंकि साहित्यकार संवेदनशील होता है वह किसी राज्य मंत्री के दर्जे जैसे रसूख की कामना नहीं करता। उन्होंने कहा कि अकादमी के अध्यक्ष बनते ही उन्होंने बजट की सीमाएं बढ़ाई है अब कार्यक्रमों के लिए बजट की कमी नहीं रहेगी ओर  आने वाले बजट में मुख्यमंत्री से साहित्य कार्यक्रमों के लिए भी एकेडमी बढ़ाकर बजट मांगेगी। इस अवसर पर कर्नल पंकज सिंह, विजय गोयल, मंगल बादल ,सरदार भूपेंद्र सिंह, सुरेंद्र सुंदरम, बनवारीलाल बन्नी, कृष्ण बृहस्पति, डॉक्टर भारत ओला व संदेश त्यागी के अलावा वामा लेखनी मंच की महिला सदस्य ने भी अपनी उपस्थिति दी।कार्यक्रम में सदन सेवा संस्थान तथा वामन लेखनी मंच की ओर से डॉक्टर तोलाराम को शाल ओढा कर साफा पहना कर अभिनंदन किया गया।