जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
सीएम अशोक गहलोत की ओर से सचिन पायलट को लेकर दिए बयान ने राजस्थान में सियासी उबाल चरम पर पहुंचा दिया है। पायलट कैंप के मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री भले ही कोई बयान दें। लेकिन अगर कांग्रेस आलाकमान विधायक दल की बैठक बुलाता है और उसमें पायलट के साथ 80 फीसदी विधायक नहीं होते हैं तो हम मुख्यमंत्री पद से अपना दावा छोड़ देंगे। राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधायकों की वन टू वन मीटिंग और सीएलपी की बैठक से क्यों घबरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिन विधायकों पर 10-10 करोड़ रुपए लेने के आरोप लगा रहे हैं तो फिर उन्होंने क्या सोच कर उनमें से 5 विधायकों को अपनी कैबिनेट में मंत्री पद देकर बैठा रखा है। गुढ़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री कम से कम स्वर्गीय हो चुके भंवर लाल शर्मा का तो ध्यान रखें। जिनके निधन होने पर सरदार शहर सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं।ऐसे आरोप लगाकर वह भंवर लाल शर्मा और गजेंद्र शक्तावत जैसे दिवंगत हो चुके विधायकों को भी कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। इससे उनके परिवार पर क्या बीत रही होगी ? राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान को अब विधायक दल की बैठक करवानी चाहिए, क्योंकि न तो आलाकमान ने जो नोटिस दिए थे उन पर कार्रवाई हुई, उल्टा मुख्यमंत्री इस तरह से बयान दे रहे हैं। राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत निकम्मा, नकारा ,गद्दार वह सब कुछ बोलते रहते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि सचिन पायलट से बेहतर राजस्थान की कांग्रेस पार्टी की सेहत के लिए कोई भी अच्छा नहीं हो सकता है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री भले ही यह दावा कर रहे हैं कि पायलट के पास 10 विधायक नहीं हैं। उन्हें मैं बता दूं कि उनके साथ होटल में रहे 102 विधायकों में से आज भी पायलट के साथ चार्टर प्लेन में चार विधायक मध्य प्रदेश गए हैं। एक मैं खड़ा हूं। ऐसे में मुख्यमंत्री गलत बोल रहे हैं। गुढ़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री अगर इतने आश्वस्त हैं तो फिर काउंटिंग क्यों नहीं करा लेते हैं। 80 फीसदी एमएलए सचिन पायलट के साथ नहीं हो तो हम दावेदारी छोड़ देंगे। राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री पैसे लेने वालों में जिसका नाम निकाल रहे हैं, उनमें से 5 लोग तो उनकी कैबिनेट में हैं। उनको क्यों बैठा रखा है, अब बार बार उनको गद्दार क्यों बोल रहे हो ,क्या इन 19 लोगों को टिकट नहीं दोगे। राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि कांग्रेस विधायक कांग्रेस आलाकमान के साथ हैं। कांग्रेस आलाकमान के आशीर्वाद से सब एमएलए बने,उनके आशीर्वाद से ही मंत्री और मुख्यमंत्री हैं। अगर कांग्रेस छोड़ते हैं तो यह विधायक अपने दम पर गांव के सरपंच नहीं बन सकते, नगरपालिका और निगम में पार्षद भी नहीं बन सकते। यह नेता विधायक इसलिए बनकर बैठे हैं क्योंकि कांग्रेस हाईकमान का इन्हें आशीर्वाद है।
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